बुधवार, 19 सितंबर 2018

संघ प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन एक साँस्कृतिक संगठन के प्रमुख से ज्यादा एक चतुर राजनेता का बयान नजर आता है। उनके बयान में कान्ग्रेस के प्रति जिस सदभावना का प्रदर्शन हुआ है उससे कान्ग्रेस की वापसी और भाजपा की रवानगी की आहट स्पष्ट सुनायी दे रही है।कांग्रेस के प्रति सदभाव और संविधान में निष्ठा की बात कहकर वे अपना भविष्य वैसे ही सुरक्षित करना चाहते हैं जैसे वे नेहरू पटेल और इन्दिरा गाँधी के समय में कलाबाजी करते हुये कर चुके हैं।
 किसी भी संगठन को संविधान के दायरे में रहकर काम करने का पूरा हक है और संघ अगर ऐसा करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है| लेकिन संघ समर्थित,प्रेरित जो असंवैधानिक कुकृत्य उससे जुड़े संगठनों और व्यक्तियों द्वारा किये गये हैं उनकी जिम्मेदारी कौन  लेगा? क्या उन्हें यूँ ही भुला दिया जाएगा ?केन्द्र में बनने वाली नयी सरकार की तैयारी में जुटी कांग्रेस को इस संबध में ठोस कार्यवाही का आश्वाशन जनता को देना होगा वरना जनता के बीच कांग्रेस की विश्वश्नीयता  को संदिग्ध बनाने का दाँव संघ प्रमुख ने चल दिया है जो कांग्रेस को नुकसान जरूर पहूँचायेगा। राहुल गाँधी द्वारा वैसे भी लगातार भक्ति भाव का प्रदर्शन करते रहने से उनकी खानदानी धर्मनिरपेक्ष होने की  छवि चटक रही है। मोदी से बड़ा हिन्दू दिखने की उनकी कौशिश ने उनकी नेहरूवादी धर्मनिरपेक्ष, उदार, लोकतांत्रिक,प्रगतिशील और वैज्ञानिक सोच वाले युवा की बन सकने वाली छवि की संभावनाओं को समाप्त कर दिया है। आज नेहरूवादी सोच के लोग बहुत निराश हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि हमें कहाँ जाना था और हम कहाँ आ गये हैं ? क्या  हमारे स्वतत्रता सेनानियों ने ऐसा भारत  बनाने का  सपना देखा था जहां  हर बड़ा  नेता जनता  की  समस्याओं  से  मुंह  मोडकर राम, शिव  य़ा  विष्णु  भगवान का  कीर्तन करने  में  लीन  है ? हमें वैज्ञानिक सोच, उदार और धर्म निरपेक्ष, सर्वसमावेशी  समाज का निर्माण करना था दुनिया में अमेरिका रूस जापान जर्मनी फ़्रांस और ब्रिटेन जैसे प्रगतिशील देशों से आगे जाना था किन्तु हम उस रास्ते से मुँह मोड़कर पीछे की ओर सरपट दौड़ रहे हैं | मध्यकाल से होते हुए प्राचीन काल की महान संक्राति और सभ्यता की ओर जहाँ यज्ञ का धूम उठ रहा है ,राक्षसों की मृत देह अग्निदा हो रही हैं | म्लेच्छ मारे जा रहे हैं आदिवासी वनवासी कराह रहे हैं | गायों को लूटने और बचने के लिए लोग मारे जा रहे हैं ये कैसा महान भारत है जिसके निर्माण का हमें सपना दिखाया जा रहा है |
        

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