सोमवार, 31 दिसंबर 2018

कुछ हिन्दू गाँधीवादी थे

कुछ हिन्दू गाँधीवादी थे, कुछ हिन्दू सिर्फ विवादी थे
कुछ बैठे गाल बजाते थे, या यूँ कह लो बकवादी थे।
लवकुश फुटपाथों पर बैठे, श्रीराम टेंट में थे ऐंठे
था भक्तों का झगड़ा तगड़ा कुछ वादी कुछ प्रतिवादी थे।

हनुमान गदा को भूल गये, जब खुद विवाद में झूल गये
सब बता रहे अपना खुश थे, मुस्लिम बोले तो फूल गये ।
कह दिया किसी ने मुसलमान,वानर का भी घट गया मान
फूलों की माला पहनाते चुभ जाते उनको शूल नये  ।

ये बिना बात के झगड़े हैं , वैसे ही क्या कम लफड़े हैं
हम हिन्दूस्तानी हों ना हों हम अगड़े हैं, पिछड़े हैं।
हम दलित दमित, हम महादलित,सदियों के हैं शोषित पीड़ित
वो क्या हमको दे सकते हैं, जिनसे जाते हम रगड़े हैं।

 नेताओं की ये काँय काँय, ये मन्दिर मस्जिद गाय हाय
आने दो जरा इलैक्शन को, कर देंगे टाटा बाय बाय ।
फिर बैठ पकौड़े तलना तुम, केवल भक्तों को छलना तुम
हम नहीं छले अब जायेगें, देंगे ना तुमको कहीं राय ।

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