शनिवार, 3 अगस्त 2019

कविता -हत्या को दुर्घटना लिखना,

हत्या को दुर्घटना लिखना ,
दिल्ली हो तो पटना लिखना।
चाहे अब कुछ भी हो जाये
पर तुम सच को सच ना लिखना।

मौन रहे मंदिर गुरुद्वारे
मस्जिद चर्च औ ठाकुरद्वारे ।
बहरी हुई न्याय की देवी
चीख चीख कर बहुत पुकारे।

झुकी न्याय की तुला जिधर है
उसको उधर झुकाए रखना ।।

रहो सुरक्षित साथ सबल के
मिलना है क्या साथ निबल के ?
रुतबा शान तभी तक कायम
साथ रहो जब सत्ता दल के |

सत्ता दिन को रात कहे जो
रात कहो तुम दिन ना कहना ||

रात रहे औ रहे अन्धेरा
अच्छा लगता नहीं सवेरा |
कौन अँधेरे में देखेगा
मुँह काला तेरा या मेरा |

जय किल्विष महाराज की जय हो
जुग जुग उन्हें जिलाये रखना  |







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