आज कुछ महारथी भारत में लोकतंत्र खतरे में बता रहे हैं. मैं याद दिलाना चाहता हूॅं कि भारत का लोकतंत्र सबसे पहले तब खतरे में आया था जब महात्मा गॉंधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह भारत के मर्म पर आघात था. भारत में लोकतंत्र को दूसरा सबसे बडा खतरा तब पैदा हुआ था जब उन्मादी तत्वों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था. यह भारत की लोकतंत्र में आस्था की वैश्विक विश्वसनीयता पर बडा आघात था. मजे की बात ये है कि इन दोनों कारनामों को अन्जाम देने वाले आज लोकतंत्र की बात करते हैं. उनकी बातों पर हॅंसा जाये या रोया जाये ये समझ में ना आने वाली बात है. नागों और बघेरों का भी कोई लोकतंत्र होता है यह अब जाकर पता चला है.
कोंग्रेसियों की सबसे बड़ी दिक्कत उन्हें बाबरी मस्जिद याद आता है पर इमरजेंसी नहीं आती | उन्हें गोधरा के दंगे याद आते हैं पर साबरमती एक्सप्रेस में जलाये गए कारसेवक नहीं | छी, थू, धिक्कार है ऐसी सोच पर और आप खुद को कवि या लेखक कहते हो | पहले इंसान बनो, सोच और नीयत ठीक करो
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