हम हैं निरे कहाँ कभी कुसंग में रहे ? ये और बात है कि हम भी संघ में रहे |
चाहे चली हो बात कोई भी सहज में हो सन्दर्भ में रहे सदा, प्रसंग में रहे |
चाहे चली हो बात कोई भी सहज में हो सन्दर्भ में रहे सदा, प्रसंग में रहे |
हम बेअदब हैं वो थे अदब चाहने वाले फिर भी हम उनसे ज्यादा कहीं ढंग में रहे |
हमसे हिसाब रोटियों का पूछ रहे वो जो खुद हमेशा भंग की तरंग में रहे |
गौ मूत्र है खुराक में, गोबर दिमाक में हम योग करके स्वास्थ्य की उमंग में रहे |
नेजा न कोई पास था तरकश न तीर था दुश्मन भी था जबर मगर हम जंग में रहे |
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