बरसात का मौसम मगर फिर भी नदी सूखी रही,
फीकी रमक, फीकी चमक, नेकी बदी रूखी रहीं |
उद्घाटनों औ भाषणों में देश विकसित हो रहा,
कोठियां अफरा रहीं और झुग्गियाँ भूखी रहीं |
फीकी रमक, फीकी चमक, नेकी बदी रूखी रहीं |
उद्घाटनों औ भाषणों में देश विकसित हो रहा,
कोठियां अफरा रहीं और झुग्गियाँ भूखी रहीं |
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