कभी गाली कभी गोली कभी ले सूरतें भोली,
किसे आँखे दिखाते हो किसे तुम आजमाते हो।
अरे बहरूपियों सारे तुम्हारे रूप देखे हैं,
उछलते कूदते क्या हो, क्या हाथों को नचाते हो।
डरे हैं ना कभी तुमसे, डरेंगे ना कभी भी हम ,
तुम अपना जोर दिखलाओ हम अपना दम दिखाते है।
डरे रहते हो तुम बेखौप लोगों का कत्ल करके ,
निडर हम बोलते लिखते हैं और फिर मुस्कराते हैं।
झूठ कहूँ तो लफ्जों का दम घुटता है, सच बोलूँ तो लोग खफ़ा हो जाते हैं। –--- गुलजार
किसे आँखे दिखाते हो किसे तुम आजमाते हो।
अरे बहरूपियों सारे तुम्हारे रूप देखे हैं,
उछलते कूदते क्या हो, क्या हाथों को नचाते हो।
डरे हैं ना कभी तुमसे, डरेंगे ना कभी भी हम ,
तुम अपना जोर दिखलाओ हम अपना दम दिखाते है।
डरे रहते हो तुम बेखौप लोगों का कत्ल करके ,
निडर हम बोलते लिखते हैं और फिर मुस्कराते हैं।
झूठ कहूँ तो लफ्जों का दम घुटता है, सच बोलूँ तो लोग खफ़ा हो जाते हैं। –--- गुलजार
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