शनिवार, 29 सितंबर 2018

मुर्दे कोर्ट नहीं जाते हैं

              कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि यू पी में सर्जीकल स्ट्राइक चल रही है या यू पी पुलिस मोरल पुलिसिंग कर रही है? एक तरफ भारत का सर्वोच्च न्यायालय निजता के अधिकार का आदर करने का आदेश दे रहा है वहीं दूसरी ओर यू पी के पुलिस वाले मेरठ में बन्द कमरे से युवा जोड़े को बाहर घसीटकर दे दनादन दे दनादन कर रहे हैं| वे हाथों और लातों से कूट कूट कर संस्कार सिखाने में पिले पड़े हैं। इतने पर भी कोई नहीं सीखता  है तो लखनऊ में स्वतंत्र विचरण करने वाले आम आदमी विवेक को इसलिये गोली मारकर समझाया जा रहा है क्योंकि वह अपनी सहचरी महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में  क्यों है?
आम आदमी लाख कहे कि मैं कोई कानून नहीं तोड़ रहा हूँ न ही कोई राष्ट्रविरोधी कार्यवाही में शामिल हूँ| मैं अपनी महिला मित्र के साथ हूँ, बन्द कमरे में हूँ, पाकिस्तान में नहीं हूँ। यहाँ आप सर्जीकल स्ट्राईक नहीं कर सकते हैं| लेकिन कोई नहीं सुनता है।
पुलिस वाले कहते हैं कि 'हम क्या करें? पाकिस्तान नहीं है तो क्या हम सर्जीकल स्ट्राईक ना करें ? हमें भारतीय संस्कृति की रक्षा भी तो करनी है।आज भारतीय संस्कृति को सबसे बड़ा खतरा इन स्वतंत्र विचरण करने वाले स्त्री पुरूषों से ही है। ये बहुत बड़े अपराधी हैं। इसलिये सर्जीकल स्ट्राईक तो करनी ही पड़ेगी।'
'लेकिन पुलिस जी हम कहाँ स्वतंत्र विचरण कर रहे हैं ? हम तो बन्द कमरे में हैं, अपनी बन्द गाड़ी में हैं। क्या हम ऐसे भी नहीं मिल सकते हैं?'
'हाँ नहीं मिल सकते हैं। मिलकर तुम क्या करोगे ? भारतीय संस्कृति के विरूद्ध ही काम करोगे| ये हम हरगिज न होने देंगे।'
'लेकिन पुलिस जी सुप्रीम कोर्ट ने आपकी रोक टोक को गलत माना है। आप ऐसे किसी को नहीं रोक सकते हैं?'
'ओय सुन रोक नहीं सकते हैं तो क्या हुआ हम ठोक तो सकते हैं ना ? हमें ठोकने का आदेश मिला हुआ है, सो हम ठोक रहे है। और सुन सुप्रीम कोर्ट का नाम भी ना लेना। मुर्दे कोर्ट नहीं जाते हैं, शमशान जाते हैं, कब्रिस्तान जाते हैं। तुम कहाँ जाना चाहते हो?'
'मैं म् म् मैं तो जी कहीं नहीं जाना चाहता । मैं तो जी यहीं रहूँगा हिन्दूस्तान में। '
'अबे बहरा है क्या? सुना नहीं मैं पाकिस्तान नहीं बोल रहा हूँ। कब्रिस्तान, शमशान बोल रहा हूँ। पाकिस्तान भेजने की बात चुनाव से पहले थी। अब सीधे शमशान या कब्रिस्तान भेजा जायेगा। तू बता कहाँ जाना चाहता है?'
'मैं कही नहीं जाना चाहता हुजूर। आप कष्ट ना करें मैं अपने घर जा रहा हूँ।'
'हाँ तो सीधे चला जा, ज्यादा कोर्ट फोर्ट की बात मत कर वर्ना ...'
'ना ना हुजूर मैं किसी कोर्ट वोर्ट को नहीं जानता। मैं जाता हूँ हुजूर जैराम जी की।'
अबे चल फूट.... बड़ा आया जै राम जी की करने वाला, फिर नजर मत आईयो।

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