मंगलवार, 23 जुलाई 2019

कुछ बहु चर्चित, कुछ बहु परिचित मित्रों ने है जग त्याग दिया |
मन विचलित है,मन विगलित है जीवन में शोक विराग दिया |

खामोशी डसती रहती है घेरे चहुँ ओर उदासी है |
वो बड़ी बात लगती है जो औरों के लिए ज़रा सी है |

जग सारा हुआ मतलबी है या हम ही जीना भूल गये |
क्यूँ नहीं हवा के साथ चले चुनते रहते क्यूँ शूल नये |

कुछ लोग रहे फूलों के संग मौसम कैसा भी हो खराब |
कुछ लोग लगा लेते पहले हानि लाभों का सब हिसाब |

कुछ लोग लाभ के लिए हमेशा पथ बदले, रथ भी बदले |
कुछ अपने पथ पर अडिग रहे ना कभी ज़रा भी हैं फिसले |

हम उनके पथ के नये पथिक अनुयायी हैं, अनुगामी हैं |
जिनको आराम हराम रहा जो संघर्षों के हामी हैं  |

क्या ही जीवट के लोग थे वो ना थके कभी ना रुके कभी |
अफसोस हमारा हाल है ये लगता जैसे हम चुके अभी |

बातें कितनी हों बड़ी बड़ी कुछ ख़ास नहीं कर पाए हम |
जब लोग निराश मिले हमको कुछ आस नहीं भर पाए हम |

बस यही बात दिल में अंदर तक बैठ गयी है घर कर के |
चीखें चिल्लाये बहुत रोज, मन है रोयें भी जी भर के |

कुछ देर सही रोने भर से मन तो हल्का हो जाएगा |
मालूम हमें जो चला गया वो चला गया ना आएगा |

पर कुछ तो हक़ दिल को भी है होकर उदास चुप रहने का |
सब सहने का जो बीत रही ना कभी कहीं कुछ कहने का |

बस आज उसी हक़ की खातिर गुमसुम हूँ, मैं भी हूँ उदास |
मैं गया नहीं हूँ अभी कहीं मैं तुम्हें मिलूंगा सदा पास |










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