एक गली के गुंडे सी सरकार बन रही
और हमारी भी है उससे रोज ठन रही |
घर से निकलें नहीं कि बाहर, जुर्माना है
जाने किस किसकी है हम पर तोप तन रही |
घर को घेरे हुए गरीबी बेकारी है
बैठे बैठे बीमारी है नयी जन रही |
काजल की कोठरियों से बच बच कर चलते
फिर भी सबसे ज्यादा अपनी नाक सन रही |
देश हुआ आजाद बना गणतंत्र हमारा
तनी कभी कश्मीर कभी आसाम गन रही |
और हमारी भी है उससे रोज ठन रही |
घर से निकलें नहीं कि बाहर, जुर्माना है
जाने किस किसकी है हम पर तोप तन रही |
घर को घेरे हुए गरीबी बेकारी है
बैठे बैठे बीमारी है नयी जन रही |
काजल की कोठरियों से बच बच कर चलते
फिर भी सबसे ज्यादा अपनी नाक सन रही |
देश हुआ आजाद बना गणतंत्र हमारा
तनी कभी कश्मीर कभी आसाम गन रही |
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