शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

शाहीन बाग़ आंदोलन ,नागरिकता संशोधन बिल

जोर शौर से प्रचार किया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन एक्ट से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में धार्मिक कारणों से उत्पीड़ित होकर भारत में शरण लेने वाले हिन्दू ,जैन ,बौद्ध ,सिख को नागरिकता दी जायेगी, क्यूंकि ये मूलत: भारतवंशी हैं और भारत के अलावा इनका कोई शरणदाता देश नहीं है.
      सबसे पहले तो ये स्पष्ट हो जाना चाहिए कि दुनियां में जहाँ भी शरणार्थी शरण लेते हैं तो शरणदाता देश शरणार्थियों का मजहब देखकर शरण नहीं देता है. पश्चिमी एशिया में नाटों देशों द्वारा अरब देशों के साथ शत्रुवत व्यवहार किये जाने के बावजूद पश्चिम के देशों द्वारा पश्चिम एशिया से पलायन करने वाले शरणार्थियों को शरण दी है. यह मानवता का तकादा है कि उत्पीड़ित की यथासंभव मदद की जाए इसमें धर्म, जाति, रंग या नस्ल भेद नहीं होता है .
दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि यदि किसी देश के मूल निवासियों का किसी देश में किसी भी कारण से उत्पीड़न होता और उन्हें अपना देश छोड़ने को मजबूर किया जाता है तो मूल देश को कड़ा प्रतिवाद करना चाहिए और हर संभव तरीके से उत्पीड़न करने वाली  ताकतों को अपना व्यवहार ठीक करने के लिए विवश करना चाहिए .क्या ऐसा हो सकता है कि दुनिया के किसी भी देश में चीनी, अमेरीकी, या रूसी  मूल के लोगों के साथ उत्पीड़न हो और वे चुपचाप देखते रहें ? अमेरिका तो तत्काल बमबारी कर देगा. रूस की भी आँखें तरेरेगा और चीन की तो एक घुड़की ही काफी है. क्यूंकि ये  राष्ट्रीय सवाभिमान  का प्रश्न है. फिर ऐसा क्यूँ कि भारतवंशियों पर जुल्म हो और भारत टुकुर टुकुर देखता रहे, कुछ ना करे और भारतवंशी लुट पिटकर अपना घर बार छोड़कर भारत में शरण लेने को मजबूर हो जाएँ ? कोई यूँ ही पलायन नहीं करता है. सबको अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि से लगाव होता है .कोई उसे किसी भी स्थिति में छोड़ना पसंद नहीं करता है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो इससे दुखद कुछ नहीं हो सकता है.
   नागरिकता संशोधन एक्ट यह दर्शाता है कि भारत एक कमजोर देश है जो भारतवंशियों के जीवन और सम्मान की रक्षा नहीं कर सकता है. इससे सम्बंधित देशों में भारतवंशियों का उत्पीड़न बढ़ेगा.क्यूंकि उन्हें मालूम है कि भारत सरकार भारतवंशियों के पलायन को स्वीकार करने सिवा कुछ नहीं कर सकती है. यह भारतवंशियों के हित में नहीं है और ना भारत के आत्मसम्मान के अनुकूल है .हाँ जो विदेशी भारतवंशी बरसों से यहाँ पड़े हैं और स्वदेश नहीं जाना चाहते हैं उन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए . 

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