जालिम देख
देख अरे ओ जालिम देख|
भूखा तन और नंगा पेट |
भूख नहीं फिर भी भरपूर,
बरफी रबड़ी मोतीचूर ,
आम संतरा ओ अंगूर ,
दे हमको बस रोटी एक |
गली गली मस्जिद चुनवा दे,
मंदिर तू सौ सौ बनवा दे,
गुरुद्वारा या चर्च बना दे
मत कर बस्ती मटियामेट |
नोटों की छाया में रह ले,
अम्बर से उसको मिलवा ले,
अन्य ग्रहों पर वास बना ले,
दे हमको बस छप्पर एक |
तेरे तन पर रेशम तार,
कुत्ता पहने झालरदार,
ओछे महगें पहने नार,
दे दे हमको चिथड़ा एक |
नन्हें कर में गुरु हथोडा,
मेरा संगी बनाकर थोडा,
मिटा रहा हाथों की रेख|
जैसे कह वैसे रह लेंगें,
और सितम को भी सह लेंगें
नहीं जरा हुत्कार भरेंगे
मगर न इनको हमको बेच|
और नहीं बस और नहीं,
लुटे बहुत बस और नहीं,
आता गर तू बाज नहीं,
देंगें तेरे घुटने टेक |


गली गली मस्जिद चुनवा दे,
जवाब देंहटाएंमंदिर तू सौ सौ बनवा दे,
गुरुद्वारा या चर्च बना दे
मत कर बस्ती मटियामेट |
behad umda geet !!
zahn o dil ko prabhavit karne wala