मंगलवार, 20 सितंबर 2011

गीत- 'संघर्ष हमारा नारा है'

हर जोर जुल्म की  टक्कर  में संघर्ष  हमारा  नारा  है।                         
हम रूके नही हम झुके नही कहता इतिहास हमारा है।।


जब आजादी की जंग छिडी गॉंधी, सुभाष, नेहरू बोले,                     
जिसको आजादी प्यारी है, अपने बाजू का बल तोले| 
शिक्षक,प्रशासक,फौजी सब छोडे नौकरियॉं सरकारी,                 
मजदूर मिलों से बाहर हों धरने की कर लें तैयारी|                        
ट्रेनें पटरी पर खडी रहें सरकारी चक्का जाम रहे,                   
हडताल रहेगी पूरी यह मालूम खास औ आम रहे|                 
गैरों की करें गुलामी हम गैरत को नही गवारा है।|
तन मन में लहर उठी ऐसी सब मचल उठे भारतवासी,              मजदूर,किसान,वकील चले जेलेभरने, चढने फॉंसी|               
सरकारी ओहदेदारों ने सरकारी हुकुम नहीं माने,               
गोरे  बिफराये  फिरते  थे  हाथों  में  बन्दूकें थामें | 
पर सबको धुन थी एक यही कुछ करेगें या मर जायेंगें,                       
चाहे  जितनी  कुर्बानी  हो  गोरे  भारत  से  जायेंगें।                  
जो  शीश  चढे  संगीनों  पे  उनमें  सुमार  हमारा ||

अग्रेंज दे से चले गये मिल गयी सभी को आजादी,                     
पॉंवों में हमारे ही क्यों है? जंजीर गुलामी की बॉंधी|                    
अब भी कानून पुराने हैं हक नहीं हम कुछ कहने का,                         
हक नहीं दे की पंचायत में विधि विधायक रहने का|  
विधि के समक्ष समता, स्वतंत्रता सब कहने की बातें हैं,                       
जो कुछ पहले से मिला हुआ उसको लेने की घातें हैं |                        
मत देने का अधिकार भी बस लिखा रह जाता सारा है।
आजादी  चोर  लुटेरों  को,  हत्यारों, को  बदकारों  को,        
आजादी कफन खसोटों को,बातिल बुजदिल गद्दारों को|                 
वे  ही  संसद  में  जाते  हैं  वे  ही  कानून  बनाते  हैं,                
सच बोलने वालों को अब भी सूली पर वही चढाते हैं|
हडताल प्रदन धरने को विद्रोह बताया जाता है,                                 
हक़ माँगने वाला सरेआम गोली से उडाया जाता है |                       
कानून बघेरे बॉंच रहे मुन्सिफ का चलता आरा है।|


चुप रहने वालो मुंह खोलो कैसे आजाद हुये हैं हम,                       
गददारों को गददी देकर केवल बरबाद हुये हैं हम|                   
कितने काले कानून बने हमसे बिन पूछे बिन जाने,                  
वे संसद में हम बाहर हैं हम माने भी तो क्यों मानें|                           
हम मॉंग.मॉंग कर हार चुके कितने दिन मॉंगें जायेंगें,                   
अब हम ससंद में  बैठेंगें  हम  ही कानून बनायेगें|                         
सबके हक में रान शासन का करना अब बॅंटवारा है।

हर जोर  जुल्म  की  टक्कर  में संघर्ष  हमारा  नारा  है,                          
हम रूके नहीं हम झुके नही कहता इतिहास हमारा है।।   

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