शनिवार, 13 अप्रैल 2013

महाराष्ट्र में गुडीपाडवा त्यौहार का सच!


गुडीपाडवा ये त्यौहार महाराष्ट्र में खासकर मनाया जाता है। लेकिन बहोत सारे मूलनिवासी, शुद्र मराठा समाज ने अब तक इसके पीछे का इतिहास जानने की कभी कोशिश नहीं कि। हालाकि संभाजी ब्रिगेड ने सच्चा इतिहास ब...ताने का काम शुरू किया है। लेकीन अभी भी बहोत सारे लोगों को इसका ज्ञान नहीं है।

गुडीपाडवा के दिन शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज को ब्राह्मणों ने औरंगजेब को धोका करके पकड़ के दिया था और उनको मनुस्मृति के अनुसार सजा दी गयी थि। ब्राह्मणों ने उनका सर काटके भाले पे लटकाया गया और उसका जुलूस निकाला क्यों की उन्होंने बुद्ध भूषण नाम का ग्रन्थ बहोत कम उम्र में लिखा था और ब्राह्मणों की दादागिरी को ललकारा था। बहोत सारे ब्राह्मण चोरो को भी उन्होंने पकडवाके संभाजी महाराज ने सजा भी दि। इसका बदला लेने के लिए ब्रह्मनोने संभाजी महाराज की बदनामी की और उनको धोके से मार डाला, वो आज ही के दिन, गुडीपाडवा ! कह जाता है के ये त्यौहार श्री राम अयोध्या वापिस आने पर उनके स्वागत के लिए मनाया जाता है, लेकिन जहा श्री राम वापस आया था उस अयोध्या नगरी में तो कोई गुडीपाडवा ये उत्सव नहीं मनाता? तो फिर महाराष्ट्र में ही क्यों? क्या मराठा समाज को ये विचार कभी आया है?

जब मराठा लोग एक दूसरों को गुडीपाडवा दिन की बधाई देते है तो हमें बड़ा दुःख होता है और उनके अज्ञान पर बड़ा तरस आता है।

औरंगजेब ने संभाजी महाराज कि तऱ्ह आज तक किसी कि भी हत्या नाही कि थी ! महाराज को सरल तरीके से मारणे के बजाय अलग-अलग दंड क्यो दिया? सबसे पहले महाराज कि जीवा काटी गयी ! इससे अनुमान लागाया जा सकता है कि संभाजी महाराज ने संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व हासिल किया था ! उन्होने चार ग्रंथो कि रचना कि थी, इसलिये सबसे पहले उनकी जीवा काटने कि ब्राह्मनोने सलाह दि थी ! उसके बाद महाराज के कान,नाक आंखे और चमडी निकाली गयी ! यह घीनौना दंड "मनुस्मृती" संहिता के अनुसार दिया गया !
मतलब औरंगजेब के माध्यम से ब्राह्मनोने संभाजी महाराज को यह दंड दिया ! कवी कुलेश को भी औरंगजेब ने जिंदा नाही छोडा ! क्योंकी अपनी जान से भी ज्यादा चाहनेवाले संभाजी महाराज जैसे स्वाभिमानी ,निर्मल और चाहिते दोस्त के साथ यदि कुलेश गद्दारी कर सकता है,तो वह हमारे साथ भी गद्दारी कर सकता है,इस बात को सोचते हुये औरंगजेब ने कुलेश कि भी जान ले ली ! औरंगजेब ने अपने सगे भाई तथा चाहिते सरदार दिलेरखान ,मिर्झाराजे ,जयसिंग इन वफादार सर्दारो को भी मार डाला ! इसलिये मदत करनेवाले कवी कुलेश को जिंदा रखना औरंगजेब को संभाव नहि था ! क्योंकी औरंगजेब ने कवी कुलेश को उसके काम कि पुरी किमत अदा कि थी !
औरंगजेब ने संभाजी महाराज को धर्मद्वेष के कारण नहि मारा बल्की राजनीतिक संघर्ष कि वजह से मारा ! औरंगजेब ने संभाजी महाराज को केवळ दो सवाल पूछे ! पहला सवाल ,'आपके खजाने कि चाबिया कहा है? ' और दुसरा सवाल था ,'हमारे सर्दारो मे आपकी मुख् बिरी करणेवाला सरदार कौन है?' इसका मतलब औरंगजेब ने संभाजी महाराज को धर्मांतरण करणे का आग्रह नाही किया और ना हि संभाजी महाराज ने इसके बदले मे औरंगजेब के सामने उसकी लडकी कि मांग रखी ! संभाजी महाराज कि हत्या के पाश्च्यात ब्राह्मनोने जल्लोष के तौर पर " गुडीपाडवा ' शुरू किया !........................

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