कब तक गौरव गान सुनाऊं, मुर्दा पैगम्बरों के साथी,
कुछ तुमको भी करना होगा, कुछ मुझको भी करना साथी।
बने बनाये पथ पर चलकर मंजिल नहीं मिला करती है
बढे भयावह, बीहड मापो तोडो धरती जो परती है।
खेती करने से होती है, संदेशों से कब है आती।
कुछ तुमको भी करना होगा मुझको भी करना साथी।|
पहले खुद को होम करो तुम, तब प्रकाश स्तम्भ बनोगे
उजियाले के याचक बनकर कैसे अपनी राह चलोगे
अपना दीपक आप बनो तुम मॉंगों स्नेह,न मागों बाती।
कुछ तुमको भी करना होगा कुछ मुझको भी करना साथी।।
लौग उन्हें गिनते आये हैं, पागल ,प्रेमी, दीवानों में,
पर दीवाना हुये बिना तो मंजिल नही हाथ है आतीं।
कुछ तुमको भी करना होगा कुछ मुझको भी करना साथी।


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