मैं चौराहे पर खड़ा हुआ, मुझमें चौराहा बसता है
कितना सस्ता सम्मान हुआ ये देख देख जग हँसता है |
न हींग लगी न फिटकरी यूँ नाम मेरा सरनाम हुआ
हर बागी दागी आवारा अब उचक उचक कर तकता है |
जो सदियों से उत्पीड़ित,शोषित और दमित,
उनकी खुशियों का पर्व आज वे नाचें,कूदे हों हर्षित।
ये जो लठैत नैतिकता के,ये दीन धर्म के जो बकैत ,
समझाना छोड़े खुद समझें, वे आज समझ से हैं वंचित।
कितना सस्ता सम्मान हुआ ये देख देख जग हँसता है |
न हींग लगी न फिटकरी यूँ नाम मेरा सरनाम हुआ
हर बागी दागी आवारा अब उचक उचक कर तकता है |
जो सदियों से उत्पीड़ित,शोषित और दमित,
उनकी खुशियों का पर्व आज वे नाचें,कूदे हों हर्षित।
ये जो लठैत नैतिकता के,ये दीन धर्म के जो बकैत ,
समझाना छोड़े खुद समझें, वे आज समझ से हैं वंचित।
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