मंगलवार, 11 सितंबर 2018

मैं चौराहे पर खड़ा हुआ, मुझमें चौराहा बसता है 
कितना सस्ता सम्मान हुआ ये देख देख जग हँसता है |
न हींग लगी न फिटकरी यूँ नाम मेरा सरनाम हुआ 
हर बागी दागी आवारा अब उचक उचक कर तकता है |



जो सदियों से उत्पीड़ित,शोषित और दमित, 
उनकी खुशियों का पर्व आज वे नाचें,कूदे हों हर्षित। 
ये जो लठैत नैतिकता के,ये दीन धर्म के जो बकैत , 
समझाना छोड़े खुद समझें, वे आज समझ से हैं वंचित।

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