बाबा राम देव् ने आगे ये भी कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र जरूर है लेकिन वास्तविक लोकतंत्र यहाँ नहीं है| भारत में वास्तविक लोकतंत्र आने में अभी बीस साल लग जायेंगे|
बाबा के कथन से असहमत होने का कोई कारण नहीं है| भारत में नेताओं ,प्रशासन और समाज में लोकतांत्रिक व्यवहार का नितांत अभाव है | लेकिन ये बहुत आश्चर्य जनक है कि हर बात में स्वदेशी की श्रेष्ठता का गुणगान करने वाले बाबा रामदेव ने लोकतंत्र में स्वदेशी की महानता का जयघोष नहीं किया| ऐसा पहली बार देखने में आया है कि बाबा रामदेव ने किसी महत्वपूर्ण मामलें में विदेश को आदर्श और बेहतर बताया है वरना वे हर हाल में स्वदेशी के गुणगान में लगे रहते हैं| उनका दावा है कि यूनिलीवर,कोलगेट, जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से स्वदेशी पतंजलि ने बाजार छीन कर अपना रुतबा कायम कर लिया है| देश में तो वाकई पतंजलि ने सबसे कम समय में अपने लिए बड़ा बाजार हासिल कर लिया है लेकिन सवाल ये है कि क्या विदेशों में भी उसने अपनी कोई मार्केट वैल्यू बनायी है ? यूनिलीवर ,कोलगेट या पेप्सी ने सारी दुनियां के बाजारों में अपने उत्पादों के लिए जगह हासिल की है| पतंजलि को अभी ऐसा करना होगा |
लोकतांत्रिक व्यवहार के बारे में बाबा रामदेव ने चाहे जो कहा हो लेकिन सच ये है कि सारी दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जो हमसे बेहतर है और जिसे अपनाया जाना चाहिए | हर मामले में स्वदेशी का आग्रह दुराग्रह और मिथ्याभिमान ही कहा जा सकता है जो किसी भी प्रकार से जन हित में नहीं है |
बाबा के कथन से असहमत होने का कोई कारण नहीं है| भारत में नेताओं ,प्रशासन और समाज में लोकतांत्रिक व्यवहार का नितांत अभाव है | लेकिन ये बहुत आश्चर्य जनक है कि हर बात में स्वदेशी की श्रेष्ठता का गुणगान करने वाले बाबा रामदेव ने लोकतंत्र में स्वदेशी की महानता का जयघोष नहीं किया| ऐसा पहली बार देखने में आया है कि बाबा रामदेव ने किसी महत्वपूर्ण मामलें में विदेश को आदर्श और बेहतर बताया है वरना वे हर हाल में स्वदेशी के गुणगान में लगे रहते हैं| उनका दावा है कि यूनिलीवर,कोलगेट, जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से स्वदेशी पतंजलि ने बाजार छीन कर अपना रुतबा कायम कर लिया है| देश में तो वाकई पतंजलि ने सबसे कम समय में अपने लिए बड़ा बाजार हासिल कर लिया है लेकिन सवाल ये है कि क्या विदेशों में भी उसने अपनी कोई मार्केट वैल्यू बनायी है ? यूनिलीवर ,कोलगेट या पेप्सी ने सारी दुनियां के बाजारों में अपने उत्पादों के लिए जगह हासिल की है| पतंजलि को अभी ऐसा करना होगा |
लोकतांत्रिक व्यवहार के बारे में बाबा रामदेव ने चाहे जो कहा हो लेकिन सच ये है कि सारी दुनिया में बहुत कुछ ऐसा है जो हमसे बेहतर है और जिसे अपनाया जाना चाहिए | हर मामले में स्वदेशी का आग्रह दुराग्रह और मिथ्याभिमान ही कहा जा सकता है जो किसी भी प्रकार से जन हित में नहीं है |
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