नई ग़ज़ल का एक मुखड़ा और चार शे र
हाथ में तीर-कमान हैं उनके हम समझे अदिवासी हैं ।
पुलिस बताती है हमको ये जंगली नक्सलवादी हैं ।
जिनके पास कलम औ सच हो बात न्याय की करते हों ,
सत्ता कहती ऐसे लोग ही असली नक्सलवादी हैं ।
एक वकील है एक कवि कुछ सामाजिक कारिन्दे हैं,
पर सरकार बताती है ये शहरी नक्सलवादी हैं ।
कविता लिखना छोड़ भी दोगे, फिर भी बच ना पाओगे ,
लाख कहो कमिनिस्ट नहीं हैं, हम केवल जनवादी हैं ।
धमका कर या प्यार से पूछो,"बल्ली" देगा यही जवाब,
गर वो फासीवादी हैं तो हम परिवर्तनवादी हैं ।
----------- बल्ली सिंह चीमा
हाथ में तीर-कमान हैं उनके हम समझे अदिवासी हैं ।
पुलिस बताती है हमको ये जंगली नक्सलवादी हैं ।
जिनके पास कलम औ सच हो बात न्याय की करते हों ,
सत्ता कहती ऐसे लोग ही असली नक्सलवादी हैं ।
एक वकील है एक कवि कुछ सामाजिक कारिन्दे हैं,
पर सरकार बताती है ये शहरी नक्सलवादी हैं ।
कविता लिखना छोड़ भी दोगे, फिर भी बच ना पाओगे ,
लाख कहो कमिनिस्ट नहीं हैं, हम केवल जनवादी हैं ।
धमका कर या प्यार से पूछो,"बल्ली" देगा यही जवाब,
गर वो फासीवादी हैं तो हम परिवर्तनवादी हैं ।
----------- बल्ली सिंह चीमा
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