जन गण तो शाहीन बाग में है और तंत्र राजपथ पर फैला
इस ओर खिले और धुले हैं मन उस ओर मिला हर दिल मैला .
गण तंत्र बचाना है तो फिर हर दम चौकस रहना होगा
कुछ पता नहीं रखवाला कब भरकर चल दे अपना थैला .
छान रहे जिसमें आजादी ये छलना है ठीक नहीं
हुए बहत्तर छेद हैं जिसमें उसका बजना ठीक नहीं .
छलने वाले छलिया बोलें कम कुछ ज्यादा काम करें
जो छलते हैं देश को उनका देश में बसना ठीक नहीं .
इस ओर खिले और धुले हैं मन उस ओर मिला हर दिल मैला .
गण तंत्र बचाना है तो फिर हर दम चौकस रहना होगा
कुछ पता नहीं रखवाला कब भरकर चल दे अपना थैला .
छान रहे जिसमें आजादी ये छलना है ठीक नहीं
हुए बहत्तर छेद हैं जिसमें उसका बजना ठीक नहीं .
छलने वाले छलिया बोलें कम कुछ ज्यादा काम करें
जो छलते हैं देश को उनका देश में बसना ठीक नहीं .
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