अम्मा का खत
बहुत दिनों के बाद मिला है अम्मा का खत गॉंव से।
पिता हुये अब बूढे टेढे, मुझको आये रतोंधी
हम दोनों का नाता टूटा खेत क्यार के काम से।
छोटा भाई एम0ए0 करके घर पर ही बैठा है
कभी नहीं होटों पर लाता जो अन्दर सहता है
खडा खडा धरती पर जाने क्या लिखता है पॉंव से।
पिछले बरस विकट वर्षा में बैठ गया ओसारा
अब छप्पर के नीचे ही रहता परिवार हमारा
तुम्ही बताओ जायें कहॉं हम अपने ठैंया ठॉंव से।
इधर मरी मंहगाई भी अब आ बैठी है जम के
रूखा सूखा खा पीकर हम घूंट पी रहे गम के
बीत नहीं पाता है सचमुच पल पर भी आराम से ।
बहिन तुम्हारी लगती सयानी उंच नीच का डर है
गॉंव हमारा गॉंव नहीं अब शहरों से बदतर है
चोरी डाके, सेंध, रहजनी होते सैंया शाम से।
कल शीला के घर में घुसकर जबरन एक दरोगा,
लूट ले गया सारी इज्जत पता नहीं क्या होगा
चाकू लेकर खोज रहा है हरखू उसको शाम से।
रमचन्दी ने पटवारी से लिखा खतौनी नकली
साठ गॉंठ करके अपनी कुछ धरती और हडप ली
ढाई बीघे ओर बची है इस जालिम के दॉंव से।
बाकि सब तो ठीक ठाक है तुम बेटा कैसे हो
जल्दी ही लिखना एक पाती सही सही जैसे हो
सही सलामत रहो पुत्र तुम विनती करते राम से।
- अश्वघोष
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