मंगलवार, 13 सितंबर 2011

गीत-बहुत दिन हुये हैं कोई गीत गाये


बहुत दिन हुये हैं कोई गीत गाये
जमाना है गुजरा हमें मुस्कराये।

कबीरा की चाकी बनी जिन्दगानी
सलामत न बाकि कोई भी निशानी
नहीं कोई अपना सभी हैं पराये।

न कोई खुशी है नहीं कोई गम है
मेरी जिन्दगी तू बडी बेरहम है
फर्क कुछ नहीं है कोई आये जाये।

बहुत दूर दिल से सभी रिश्ते नाते
हमीं ने न चाहा तो वो क्यूँ  निभाते
अकेला कहॉं तक कोई लौ लगाये।

अजब जिदगी है हमें रास आयी
लगे फीकी फीकी ये सारी खुदायी
कहीं नूर बरसे, कही रंग छाये। 

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