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जैसे कल थे वैसे ही हैं कैसे खुश हों फटेहाल में ,
कुछ भी नया नहीं लगता है हमको तो इस नये साल में।जैसे कल थे वैसे........
सुबह हुई जब ऑंखें खोली धुँध वही थी ठंड वही थी,
सारी रात ठिठुरते बीती शीतलहर उदंड बही थी
फिक्र यही थी सुबह सवेरे जगे काम पर जल्दी पहुँचे
देर हुई मालिक बोलेगा कामचोर भुस भरूँ खाल में।जैसे कल थे वैसे........
वैसे भी इस बेकारी में सबको काम कहॉं मिलता है,
काम अगर मिल भी जाये तो वाजिब दाम कहॉं मिलता है,
इसीलिये कहीं काम न छूटे है आराम हराम हमारा,
पता नहीं कब चैन मिलेगा फॅंसे पडे हैं अजब जाल में।जैसे कल थे वैसे........
रोज यही चिन्ता रहती है आज मिले न मिले मजूरी,
मिल जाये तो सबसे पहले कुछ चीजें लें बहुत जरूरी,
मॉं की दवा बाप की ऐनक और छोटू का स्वेटर लेंगें,
हॉं छोटू की मम्मी भी है इस सर्दी में बिना शाल में।जैसे कल थे वैसे........
पता नही पहले दर्जन भर कैसे लौग पालते बच्चे,
कैसे दूध दही खाते थे बिना दवा हो जाते अच्छे,
हमको दो बच्चे भी भारी घर का पूरा खर्च न पडता,
दूध दही की बात दूर है यही बहुत है नमक दाल में।जैसे कल थे वैसे........
गीत-2
आओ साथी नया करें कुछ हम भी तो इस नये साल में,
जैसे कल थे वैसे ही क्यों बने रहें हम फटेहाल में।जैसे कल थे वैसे........
जीवन के सतरंगी सपने चिन्ता ने बदरंग किये हैं,
दुनियॉं नयी बनाने वाले सामुहिक स्वर भंग किये हैं
फिर भी टूटे स्वप्न सजोंयें टूटे तार जोडने होंगें
इन्कलाब के गीत रचेंगें नये सुरों में नये ताल में ।जैसे कल थे वैसे......
हमको है विश्वास एक दिन धुँध हटेगी कुहर हटेगा,
सूरज लाल-लाल निकलेगा यूँ अँधियारा नहीं रहेगा,
मौसम बदल गया तो क्या है मौसम है फिर बदल जायेगा
हम तो दुनियॉं बदल रहे हैं साथ निभाओ कदम ताल में।जैसे कल थे वैसे........
मंजिल तक जाने से पहले कदम मिलाना बहुत जरूरी
जिनसे कदम नहीं मिल पायें उनसे बनी रहेगी दूरी
उनसे मत उम्मीद करो कुछ कारतूस हैं चले हुए वे,
नये कारतूसो को डालो बन्दूकों की नयी नाल में।जैसे कल थे वैसे........
दुनियॉं नयी बनाने वालों एक नयी दुनियॉं से पहले,
ऐसा करो धमाका जिससे धरती दहले अम्बर दहले,
नष्ट भ्रष्ट हो जाये सारी सडी गली बदहाल व्यवस्था,
नयी व्यवस्था कायम होगी हर कीमत पर हरेक हाल में।........जैसे कल थे वैसे........
आओ साथी नया करें कुछ हम भी तो इस नये साल में,
जैसे कल थे वैसे ही क्यो बने रहें हम फटेहाल में।।जैसे कल थे वैसे........|
ला-जवाब। बेमिसाल। शाश्वत, सत्य, शुचि रचना।
जवाब देंहटाएं-सूर्यकान्त द्विवेदी
ar Ravi नया साल चुप हैं , नहीं कुछ भी बहतर
जवाब देंहटाएंसवालों को सुनकर , चुप सारे रहबर ...........Ravi Vidrohee ....
फेस बुक पर कमेन्ट
Prabhat Kumar Roy शानदार रचना.
Jayesh Dave मॉं की दवा बाप की ऐनक और छोटू का स्वेटर लेंगें,
हॉं छोटू की मम्मी भी है इस सर्दी में बिना शाल में....लाजवाब और सटीक....
दोनों रचनाएं बहुत ही सुंदर हैं
जवाब देंहटाएंफेसबुक पर कमेन्ट - साकेत जुल्का · फ्रेंड्स विद तमन्ना अंजुम -
जवाब देंहटाएं'बहुत बहुत खूब' |