शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

फेसबुक वार्ता - भगवा और इस्लामी आतंकवाद

[मैं'भगवा और इस्लामी आतंकवाद ' लेख  लिख  रहा था तभी टी वी चैनल आई बी एन   -7 पर एक  नेता  बोलता  दिखाई  दे गया |उसके वकतव्य को लेख  के साथ ही मैंने  फेसबुक पर दे दिया |जो प्रतिक्रियायें प्राप्त हुयी उन्हें ब्लॉग पर  प्रकाशित  करना मैं अपना लेखकीय  फर्ज समझता हूँ | ये पाठकीय प्रतिक्रियायें भी महत्वपूर्ण हैं |]















मतदान की तारीख नजदीक आते देख साम्प्रदायिक गोलबंदी मजबूत करने के लिये तथाकथित राष्ट्रवादी दल के उम्मीदवार एक पूर्व मंत्री ने एक टी वी चैनल चैनल आई बी एन   -7 की जन पंचायत में खुलेआम कहा कि उन्हें हिदू ही वोट देते हैं और वे हिन्दू इलाकों में विकास कराते हैं और आगे भी हिन्दू क्षेत्रों में ही विकास  करायेंगे | अब कहो क्या कहते हो? पता नहीं विकास के लिये पैसा क्या उन्हें उनकी पार्टी देती है या ये अपने घर से खर्च करते हैं ? ये पैसा तो देश की  जनता अपने खून पसीने की कमाई से टैक्स चुकाकर देती है|क्या अल्पसंख्यक टैक्स नहीं देते जो उन्हें विकास से वंचित किया जाता है|मजहबी आरक्षण हमारे राजनेताओं   की इसी सोच का परिणाम है 
            • जैनब  खान - very nice sharing ....thanx

                • श्रद्धान्शु  शेखर - कुछ  लोग  तो  समझदार  है  जो  एइसा  विश्लेषण   कर  पाने   की  क्षमता  रखते  हैं .. ये  सोछाकर  मुझे  संतोष  करना  पड़ता  है ..


                • श्रद्धान्शु  शेखर - राजेन्द्र  यादव जी  ने  हिन्दू   काल्पनिक  देवता  को  पहला  आत्मघाती  आतंकवादी  कहा  था . काफी  आलोचना  हुई  थी  उन  की .


                  • गिरिजेश  तिवारी -  बधाई हो मेरेदोस्त,मैंतुम्हारेहाथोंकोचूमताहूँ.

                  • अमरनाथ  मधुर - शुक्रिया  | आप  बड़े  दिल  के  हैं  |

                  • सुधाकर  आशावादी  शर्मा - भगवे  को  निशाना बनाने  से  कोई  लाभ  नहीं  है ,उस  सोच  को  निशाना  बनाये   जिसने  भगवा  चिंतन   को  विकसित  किया  है , माँ बहनों  का  विकृत  रूप   दर्शाकर  तथा  एनी  प्रकार  स, इतिहास  पढ़कर  तो  देखो 



                  • मोनिरुल सय्यद  - Gr8..सुपर  लाइक

                    सलाहुद्दीन   अंसारी - वास्तव  में  यही  षड़यंत्र  है .

                    सत्यप्रकाश   गुप्ता - लव  transcends  religions ,castes , creeds and  colours ..These  all  are  cover  sheets  to  cruelty  of  capitalism. .The  piece  of  poetry  is  awesome t ...See More
                    32 minutes ago ·  ·  1
                  • Martha Bruce beautiful very really nice it
                    चेतन रामकिशन "
                    अभी यात्रा शुरू हुई है, अभी कई मंजिल पानी है!
                    अपने इन कोमल शब्दों से, सारी दुनिया महकानी है!
                    कभी न रुकना, बढ़ते जाना, लिखते जाना-२,
                    अपने शब्दों से ए मित्रा, प्यार की दौलत बरसानी है!"
                    " आपको और आपके साहित्य को नमन!"
                    सितवत  Ahmed  -सर  आप  और  हम   ने   पसन्  कर  के  शेयर  कर  लिया  है , लेकिन  अमरनाथ  मधुर  जी  इसके  लिए  कड़ी  भर्त्सना  झेल  रहें  हैं .
                    Martha Bruce -you welcome friends
                    गिरिजेश  तिवारी  -यह भर्त्सना ही हम सब का पुरस्कार है, मित्र !

                    धीरज  रघुवंशी  -सर  awesom
                     नरेन्द्र  तोमर  -अचछी पोल खेली है।
                    18 minutes ago · 
                  • अमरनाथ  मधुर - सुधाकार आशावादी जी सादर प्रणाम करके निवेदन करता हूँ -
                    “न हम कुछ हंस के सीखे हैं,

                    न हम कुछ रो के सीखे है।

                    जो कुछ थोड़ा सा सीखे हैं,

                    तुम्हारे हो के सीखे हैं।”

                  • सुधाकर  आशावादी  शर्मा - सच्चाई से मुँह क्यों छुपाते हो,
                    मेरठ के अनेक मोहल्लों में अल्पसंख्यक मुफ्त में बिजलीज़लातेहैं,
                    टैक्स के आंकड़े निकलवा लीजिए कि अल्पसंख्यक कितनाटैक्स
                    देते हैं, या सारी कमियां हिन्दुओं में ही नज़र आती हैं, क्यातुमभीराजनेताओं की तरह तलवेचाटु नीतियों पर अमल करने लगे ?

                  • सुधाकर  आशावादी  शर्मा  मज़हबी आरक्षण कीसोच
                    जनमानस की नहीं, उनकी है जो समाज को बांटते हैं, कभी उसमज़हब के बारे में आपने ऐसी बाते लिखी है जो अपने कट्टरपनमें भारतीय कानून को नहीं मानता .समान नागरिक संहिता सेजिसे परहेज़ है ?

                  • अमरनाथ  मधुर - आपका आना और बतियाना अच्छा लगता|

                  • अमरनाथ  मधुर  मैं कुछ नहीं लिखना चाहता था लेकिन आज पूर्व मंत्री जी का जो वक्तव्य सुना तो रहा नहीं गया |सिर्फ उनका वक्तव्य सुनेऔर जबाब देंकि आप उसका समर्थन करते हैं ?

                  •  सितवत  अहमद  सुधाकर  आशावादी  शर्मा  जी  की  बिजली  वाली  बात  ठीक  है , लेकिन  इस  चोरी  में  विभागीय  साझेदारी  भी  है . टैक्स  की  चोरी  ज़्यादातर  लोग  करते  हैं  उनमे  मुस्लिम्स  भी  शामिल  हैं . बहुत  से  मुस्लिम्स  असल  में  इतना  कमाते  ही  नहीं  की  वो  टैक्स  दें ,. सामान  नागरिक  संहिता  के  बारे  में  मैं  चाहूँगा  की  मुस्लिम्स  असल  में  इसे  जान  लें  और  हिन्दू   भाई  समझ  लें  की  कहाँ   रेलिगिऔस  रूल्स  हो  सकते  hain  जिसकी  वजह  से  अगर  हम  बिना  किसी  को  चोट  पहुंचाए  कुछ  न  माने  तो  उस पर   ज्यादा   आपत्ति  न  करें .

                    रह  गयी  बात  तल्वाचाटने  की  तो  प्लीज   भाषा  पर लिमिटेशन रखें , और  मैं  नहीं  समझता  की  कोई  पोपुलर  मुस्लिम  इस  लायक  है  की  कोई  उसके  तलवे  चाते . और  अगर  हमारी  पिटायी  हो  रही   है  तो  इसमें  काफी  हाथ  हमारी  जाहिलियत  का  भी  है .

                  • अमरनाथ  मधुर - एक फैक्ट्री वाला इतनी बिजली चोरी करता है जितना पूरा गाँव मिलकर भी नहीं करता| इसमें बिजली विभाग के बड़े अफसर भी शामिल हैं |भूखे का रोटी चुराना अपराध नहीं जमाखोरों का लोगों को भूखा मारना अपराध है |सरकार की जिम्मेदारी है की वह लोगों को मुफ्त रोशनी दे | लोगों के घरों की रोशनी और हवा भी ऊँची कोठियों ने कैद कर ली है |
                  • मोहम्मद  अनस  ‎@सुधाकर अवस्थी
                    परनाम,
                    सामान्य ज्ञान अल्प है बाकी सब ठीक है आपका,ठीक है आपका क्रोध,आपकी नफरत ,आपकी संकीर्त,आपका वैमनष्य ,आपकी कटुता..
                    और गलत कहते हैं आप,जिस हत्या करने की सजा आपको मिलेगी उतनी ही सजा हमे भी मिलेगी..
                    और बिजली कौन कितनी मात्र में चुराता है,उसका आंकड़ा उठा कर देख लीजिये,बीस करोड़ मुसलमान चाह कर भी अस्सी करोड़ हिन्दुओं की बराबरी नही कर पायेंगे,न तो चोरी में न ही सीना जोरी में..
                    आगे मैं खुद को आपके स्तर पर गिरना नही चाहता,उसकी वजह है की मुझे आप जैसों की मिटटी पलीद करने में दिलचस्पी नही है...इसकी वजह वक़्त की कमी भी हो सकती है..
                    अपना ख्याल रखियेगा (यह टिपण्णी सिर्फ सुधाकर भाई के लिए है,कोई अन्य इसे अन्यथा न ले,बस इनकी आँख खोलनी थी इसलिए थोडा कठोर हो गया मैं)

                  • मोहम्मद  अनस- ‎@सुधाकर अवस्थी,समाज को बांटने वाले ही जनमानस का निर्माण करते हैं,और आपके जैसे ही हैं जो मजहबी आरक्षण के उत्तरदायी है,यदि आपको बिजली चोरी सबके घरों में दिखती तो आप सही मायनो में देशभक्त कहलाते पर आपको बिजली चोरी से लेकर कानून नही मानने वालों की गिनती प्रत्येक वर्ग में करनी थी,भारत के जेलों में बंद लोगों पर रिसर्च करिए,उनकी संख्या गिनिये,घोटालों में फसने वाले लोग,बलात्कार करने वाले लोग...उठाइए कल का अखबार और देखिये समाचार....जिस कौम पर आप इल्जाम लगा रहे हैं उनकी संख्या अपराध में न की बराबर होगी ..
                    आँखे खोलिए,बांटने से नही बल्कि जोड़ने से काम चलेगा

                  • सुधाकर आशावादी  शर्मा - आम आदमी की बाते करना
                    अच्छा लगता है, किन्तु जब धर्म का संकीर्ण नजरिया कट्टरपंथी हो
                    जाय तो क्या करें ,कौन नहीं जानता की चुनाव में टिकट जातीय और
                    धर्मगत समीकरण से ही दिए जाते हैं फिर यदि बेनी प्रसाद और सलमान
                    खुर्शीद वोट बैंक की राजनीति कर सकते हैं तो दूसरो को कैसे रोका जा
                    सकता है ? मेरा भी मंशा किसी को आहत करने का नहीं था पर तर्क के
                    लिए सदैव तैयार हूँ

                  • सुधाकर  आशावादी  शर्मा - अनस  भाई  का  आँखें  खोलने   के  लिए  धन्यवाद  ...बातें  बहुत  की  जा  सकती  हैं , बहस  अच्छी  लगती  है  मगर  सार्थक  हो  तब  ...स्तर  किसी  का  भी  ज्यादा  ऊंचा  नहीं  होता , स्तर  बातों  से  साफ़  झलकता  है  ..की  कौन  गिर  raha  है  और  कौन  उठ  रहा  है  ...आगे  सब  समझदार  हैं  .
                    अपने आप को तथाकथित धर्मनिरपेक्ष समझने वाले कुछ लोगो का काम ही यह रह गया है कि वे हिन्दुओं के प्रति विषवमन करके अपने आप को जनवादी कहलाने का प्रयास करते हैं,तरस आता है संकीर्ण मानसिकता पर, शायद ऐसे में जयचंदों की आत्मा अवश्य प्रसन्न होती होगी,की  कोई तो उनका प्रतिनिधि है|


                • आतंकवाद के दमन के नाम पर पूरी दुनिया में अमरीका जिस तरह से अपने साम्राज्यवादी मन्सूबों को पूरा करने के लिये......काफी  अच्चा  लिखा  है  आपने . मैं  शेयर  करने  ही  वाला  था  की  गिरिजेश   तिवारी  जी  ने  पहले  शेयर  कर  लिया . बहुत  कीमती  सच्चाई  है , लोगों   को  पता  चलाना  चाहिए .

                • क्या पता चलाना चाहिए? लोगों की गालियाँ मिल रहीं हैं शेयर करूँ क्या ?

                • मुझे  अफ़सोस  है  गालियों  के  लिए . इस  हिम्मत  की  ये  कीमत  तो  चुकानी  पड़ेगी . लेकिन  कुछ  सच्चे  लोगो  की  सच्ची  इज्ज़त  भी  मिलेगी  आपको .

                • कोई  परवाह  नहीं है |

                • जी , तसलीमा  नसरीन  पर  भी  कुछ  ऐसा  ही  होगा .  मैं  भी  क्रिसिसे[ आलोचना ]  कर  सकता  हूँ . बस  कोशिश  ये  रहेगी  की  क्रितिसिस्म  बलंसद[संतुलित आलोचना ]  और  पोसितिवे सकारात्मक  होगा .
                • तसलीमा  नसरीन  को  मैंने  कभी  पड़ा  नहीं  है , लेकिन  कुछ  विश्वस्त   सूत्रों  से  पता  चला  है  की  वो   उन   लोगो   में  से  है  जो  लोगिकल  होते  होते  इल्लोगिकल  हो   जाते  हैं . इस  पर  मैं  अपनी  राय  दूँ  तो  काफी  वक़्त  लगेगा  लेकिन  मेरा  मानना  है  की  मैं  सही  हूँ . आप  लिखिए , हो  सके  तो   ध्यान  रखियेगा  की  मजोरिटी   के  लिए  ये  एमोतिओनल  और  धार्मिक  मामला  है .

                • मैं ये ध्यान रखकर लिकूँ की क्या बहु संख्यकों को अच्छा लगेगा और क्या अल्पसंख्यकों को तो फिर लिखने का कुछ मतलब नहीं रहेगा | मैं भाड़े पर भी नहीं लिखता | समाज के हित में जो hona चाहिए अपनी समझ से वोलिखता हूँ |बस मेरी ही समझ ठीक है ये मैं नहीं मानता पर जो सही लगता है उसे कभी नहीं बदलता |तसलीमा नसरीन के बारे में आपका निष्कर्ष सही है लेकिन वो बड़े सही सवाल उठा रही है बस उसकी सही बातों को हम देखें जो वह गलत बकती है उसे बकने दें | यही बात सलमान रश्दी पर भी लागू होती है | दोनों को पढ़ा जाना चाहिए |

                • जी , असली  कलम  तो  आज़ाद   रहा   है  और  आज़ाद  रहेगा . मैं  आपकी  अधिकतर  राय  से  सहमत  हूँ . रुश्दी  साहब    को  अभी  उठे   शोर  में   थोडा  सा  पढ़  लिया  था , और  पता  नहीं  की  आप  इसे  कैसा  समझे  लेकिन  उसका  असल  में  दिमाघ  ख़राब  है .

                • हो  सकता है | अभी  मैंने  पढ़ा  नहीं  | बस  सुना  भर  है  | लेकिन  भाई  उसे  भी  बकने  दो |

                • जी ,  गलत  कोई  भी  हो  सकता  है , मई  भी  ग़लतियाँ  करता  रहता  हूँ , फिर  भी  हमें   अपनी  गलती  और  दुसरे  की  सही  बात  मान  लेनी  चाहिए .

                • जैसा आपने  कहा  मैं  भी  बस  इतना  ही  जानता  हूँ  और  यही  मानता  हूँ  |

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