मत इन डरना हैवानों से तुम, रानी झॉंसी वाली हो,
ये कायर, क्रूर, लंफगे हैं तुम, मॉं दुर्गा हो, काली हो।
इनके हाथों में चाकू है, इनके हाथों में डन्डे हैं,
ये गुन्डे और मवाली हैं,ये आवारा, मुस्टन्डे हैं,
ये आम आदमी के दुश्मन, ये रक्त बीज, महिषासुर हैं,
तू दुष्ट दलन कर रक्त पान, तेरा खप्पर क्यूँ खाली हो।
तुम माता शेराँ वाली हो, तुम मॉं दुर्गा हो, काली हो।
जो अहंकार से शीश तान, उल्टे सीधे देते बयान,
उनका धड से दो शीश काट, या काट अलग कर दो जबान,
दुर्योधन, दुःशासन वाले, सिंहासन पर बैठे ठाले
उनको सिंहासन से खींचो,तुम भी सिंह- आसन वाली हो।
तुम माता शेराँ वाली हो, तुम मॉं दुर्गा हो, काली हो।
सदियों से होता जुल्म रहा, सदियों से जारी जंग रही,
सदियों से औरत मर्दों के हाथों होती है तंग रही,
सब आन, बान, मर्यादायें मर्दों ने औरत पर थोपी,
इन घेरों से बाहर निकलों, तुम मुक्त हवाओं वाली हो ।
तुम माता शेराँ वाली हो, तुम मॉं दुर्गा हो, काली हो।
तुम आम आदमी का सपना,आशा हो सारी जनता की
एक नई इबारत लिखनी है तुमको मुक्ति की, समता की,
जिसमें न जाति, लिंग, धर्म के भेदभाव को जगह मिले,
सबको मौका हो बढने का, सबके चेहरे पर लाली हो .
तुम माता शेराँ वाली हो, तुम मॉं दुर्गा हो, काली हो।

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