शुक्रवार, 28 मार्च 2014

कुछ देखा और दिखा दूँगा









कुछ देखा और दिखा दूँगा, पूरा कोहराम मचा दूँगा
कोई मेरा क्या कर लेगा, मैं देश अडानी को दूँगा .
हाँ मुफ्त अडानी को दूँगा,मैं मुफ्त अम्बानी को दूँगा
धरती दहकानों की दूँगा,गंगा का पानी भी दूँगा .

मूफत देने को एक राज्य का
रकबा बिलकुल छोटा है
ये आम आदमी क्या जाने
साहब का खर्चा मोटा है

इस खर्चे को केवल अम्बानी और अडानी झेल रहे
ये खर्चा तो पूरा होगा मैं क्यूँ उनको धोखा दूँगा.

हमने खानें उनको दे दी
दे दिए तेल के सभी कुयें
अब ये उनकी मर्जी वो,तेल
पियें या सबका खून पियें

जो चाहें दाम वसूलें वो, हड्डी पर छोड़ें चाम नहीं
जनता चिल्लायेगी तब ना जब उसको चिल्लाने दूँगा.

क्या कुछ ना किया यहाँ हमने
कोई चीखा  चिल्लाया  है ?
मुट्ठी भर सिर्फ सिरफिरों ने
थोड़े दिन शौर मचाया है .

टिक पाया कोई अदालत में क्या दे पाया प्रमाण कोई
मैं पाक साफ़ हूँ दुनिया को जब चाहो तभी दिखा दूँगा .

कुछ आज सिरफिरे फिर से हैं,
ले जान हथेली पे निकले
झाड़ू सिर से ऊँची कर के  
तूफ़ान रोकने को उछले




उनको शायद मालूम नहीं,तिनकों से कहाँ रुकूँगा मैं
बरगद भी उखड रहे कैसे,ये  देखो और दिखा दूँगा .





  

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