मंगलवार, 30 जून 2015

हमारा ख्वाब



चलो मगरूर लोगों की ये दुनिया छोड कर जायें
ना इस बस्ती से हम गुजरें ना इसके मोड़ पर जायें .
                   चलो मगरूर लोगों की ये दुनिया छोड कर जायें.

ये दुनिया तौलती है प्यार दौलत की तराजू में
ये भरती दोस्ती का दम छुरा रखती है बाजू में
दिखेंगी खूबियॉं सारी यहॉं राजीवनन्दन में
यहॉं पर ऐब की सब पोटली दिखती हैं राजू में.
              भले शाम औ सुबह वो हाथ अपने जोड कर जाये
              चलो मगरूर लोगों की ये दुनिया छोड कर जायें .

यहॉं कोई किसी को देख सकता है नहीं बेहतर
बिना मतलब की रजिंश है बिना मतलब का दिल में डर
बिना मतलब चढी रहती हैं माथे पर खिंची त्यौरी
बिना मतलब भिंची मुटठी में रहता है कोई पत्थर
        भला कब तक कोई पागल ये पत्थर दौड कर खाये.
         चलो मगरूर लोगों की ये दुनिया छोड कर जायें .

         हमारा ख्वाब है दुनिया के सब इन्शां बराबर हों
         दिलों में प्यार हो सबके किसी को ना कोई डर हो.
         किसी का रंग काला हो कि गोरा हो या बादामी
         वो भाई है पडौसी हो या फिर परदेश में घर हो .
                                   हमारा ख्वाब ,ख्वाबों को तुम्हारे जोड कर लायें.
                                   चलो मगरूर लोगों की ये दुनिया छोड कर जायें .

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