जलेस मेरठ جلیس میرٹھ
जनवादी लेखक संघ मेरठ جناوادئ لکھاک سنگھ میرٹھ
सोमवार, 6 मार्च 2017
मेरी तुमसे लड़ाई है
तुम चाहते हो
मैं कहूँ मेरी तुमसे लड़ाई नहीं है
ये बहस है सिर्फ बातों की
सिद्धांतों की
जो ऐसे ही चलती रहती है
इससे कुछ होना जाना नहीं है
लेकिन मैं ऐसा कैसे कहूँ ?
मेरी तुमसे लड़ाई है
पर
अभी मेरा कहने का मौका नहीं है .
अभी मेरा लड़ने का मौका नहीं है.
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