उम्मीद की किरन है आशा का एकतारा |
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा ||
हम कारे दिलनवाजी अंजाम दे रहे हैं,
संसार को जनू का पैगाम दे रहे हैं |
फितरत का है तकाजा दिल का है ये इशारा|
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
एक हम ही आशना हैं दस्तूर के सफ़र के,
सो बार जा चुके हैं हम आग से गुजर के |
शोलों ने भी दिया है गुलजार का नजारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
गुलशन में आशियाँ की तामीर यूँ भी की है,
बातिल को हर कदम पर हमने शिकस्त दी है |
हमने दिया है एक एक मजलूम को सहारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
वो जोश है कि दिल में फिर होसलें पाले हैं,
यां जब हम चले हैं कुछ इस तरह चले हैं |
चलती है बादलों में जैसे पवन की धारा ,
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा ||
आवाज को हमारी जब साज मिल गया है,
धरती दहल गयी है आकाश हिल गया है |
गूंजा है फिर फिजां में महरो वफ़ा का नारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
माना की जिंदगी में हर सिम्त तीरगी है,
हमने वफ़ा की कश्ती मौजों को सोंप दी है |
हिम्मत ये कह रही मिल जायेगा किनारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
- महमूद मेरठी
( डॉ0 महमूद मेरठी फैज़ -ए- आम इंटर कालिज मेरठ से अग्रेजी के व्याख्याता रहे हैं | आप अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त उर्दू तथा हिंदी भाषा एवं साहित्य के भी विद्वान् हैं | जलेस की मेरठ इकाई वरिष्ठ एवम सम्मानित सदस्य हैं | )
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा ||
हम कारे दिलनवाजी अंजाम दे रहे हैं,
संसार को जनू का पैगाम दे रहे हैं |
फितरत का है तकाजा दिल का है ये इशारा|
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
एक हम ही आशना हैं दस्तूर के सफ़र के,
सो बार जा चुके हैं हम आग से गुजर के |
शोलों ने भी दिया है गुलजार का नजारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
गुलशन में आशियाँ की तामीर यूँ भी की है,
बातिल को हर कदम पर हमने शिकस्त दी है |
हमने दिया है एक एक मजलूम को सहारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
वो जोश है कि दिल में फिर होसलें पाले हैं,
यां जब हम चले हैं कुछ इस तरह चले हैं |
चलती है बादलों में जैसे पवन की धारा ,
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा ||
आवाज को हमारी जब साज मिल गया है,
धरती दहल गयी है आकाश हिल गया है |
गूंजा है फिर फिजां में महरो वफ़ा का नारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
माना की जिंदगी में हर सिम्त तीरगी है,
हमने वफ़ा की कश्ती मौजों को सोंप दी है |
हिम्मत ये कह रही मिल जायेगा किनारा
ये अंजुमन हमारी ये संगठन हमारा |
- महमूद मेरठी
( डॉ0 महमूद मेरठी फैज़ -ए- आम इंटर कालिज मेरठ से अग्रेजी के व्याख्याता रहे हैं | आप अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त उर्दू तथा हिंदी भाषा एवं साहित्य के भी विद्वान् हैं | जलेस की मेरठ इकाई वरिष्ठ एवम सम्मानित सदस्य हैं | )
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