साठ साल का बूढ़ा भारत रोता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
शोषण,अत्याचार,लूट,अपहरण बढे,
शोषण,अत्याचार,लूट,अपहरण बढे,
मानव सस्ते और गेहूँ के भाव चढ़े ,
आठ साल का बालक बर्तन धोता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
नहीं झोंपड़ी में दीपक, बस्ती काली,
हैवानों की मौत कर रही रखवाली,
आधा भारत फुटपाथों पर सोता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
मानवता के मुँह पर बरस रहे चाँटे,
मजहब,रंगभेद ने आपस में बांटे,
रहबर खुद राहों में कांटे बोता है|
रहबर खुद राहों में कांटे बोता है|
क्या आजादी का मतलब ये होता है?
परेशान हैं सब परिवार शहीदों के,
सपने टूटे,खून हुये उम्मीदों के,
हँसीं उडाता घोड़ों की अब खोता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
घूम रहे दोषी निर्दोष हैं जेलों में,
दहशत से सन्नाटा है अब मेलों में,
रिक्शा चला रहा टीपू का पोता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
दीन, दुखी,अबला, दुर्बल,लाचारों को
देगा कौन सहारा,इन बेचारों को ,
आज सियासत में पग पग समझौता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
आज करों 'गंभीर' याद वो कुरबानी,
जान गवायें भगत सिंह झांसी रानी,
गर्व बड़ा शेखर बिस्मिल पर होता है |
क्या आजादी का मतलब ये होता है ?
------ ईश्वर चंद 'गंभीर'
ईश्वर चन्द्र जी को बहुत-बहुत धन्यवाद और आप को भी प्रस्तुतीकरण हेतु.इस कविता ने एकदम सच्चाई सामने ला दी है.यह भी याद दिलाया है की अभी शहीदों की आकांछा वाली आजादी हेतु संघर्ष करने की महती आवश्यकता है.
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