शनिवार, 9 अप्रैल 2011

अध्ययन; इतिहास का सबक सुल्तान महमूद गजनवी


        यह गजनवी खानदान का सबसे मशहूर बादशाह था । इसने हिन्दुस्तान पर 17 हमले किये । शुरू के हमलों में वो वह चन्द जरुरी कारणों   से वापस जाता रहा । आखिर हिन्दुस्तान को फतेह कर ही लिया। उसने सोमनाथ का बुत तोडा जिसमें से जर व जवाहर का बहुत बडा खजाना निकला। 
     लौग कहते है कि सोमनाथ को उसने सिर्फ अपना फर्ज समझते हुये तोडा, रूपये के लालच में नहीं। ताहम इतने जर और जवाहर उसने फेंक नहीं दिये। उटों पर लदवा कर गजनी अपने साथ ले गया। अवाम उसका गुलाम था । अल्लामा इकबाल से रवायत है कि जब ऐन लडाई में वक्ते नमाज आता तो ये दोनों यानि महमूद और अयाज एक सफ में खडें हो जाते थे, फौज लडती रहती थी ।
     महमूद पर इलजाम लगाया जाता है कि उसने फिरदौसी से शाहनामा लिखवाया और उसकी साठ हजार अशर्फियॉं नहीं दी,बल्कि साठ हजार रूपये देकर टालना चाहा। यह इल्जाम बेजा है। बेशक वादा जो अशर्फी फी शेर ही आ गया था। लेकिन उस वक्त गुमान नथा कि फिरदौसी वाकई किताब लिखने बैठ जायेगा और उसको इतना लम्बा कर देगा। 
    यह किताब हफीज जालन्धरी के ‘शाहनामा इस्लाम‘ की तर्ज पर लिखी गयी हैं फिरदौसी चाहता तो बहुत बडे सफहों पर ईरान की पूरी तारीख बयान कर सकता था कि फलॉं बादशाह ने फलॉं बादशाह को मारा बगैरह। लेकिन वह उसमें पहलवानों और अजदहों के किससे डाल कर लम्बा करता गया। भला एक किताब की साठ हजार अशर्फियॉं दी जा सकती हैं? बजट भी तो देखना पडता है। महमूद की हम तारीफ करेंगें कि फिर भी साठ हजार रूप्ये की रकम फिरदौसी को भिजवायी । ख्वाह उसके मरने के बाद भिजवायी। आजकल के पब्लीशर और कद्रदान तो मरने के बाद भी लेखक को कुछ नहीं देते । साठ हजार रूपये तो बडी चीज है। उनसे साठ रूप्ये ही वसूल हो जाये तो लेखक अपने को खुशकिस्मत समझते हैं।
  यह साबित हुआ कि सुल्तान महोदय बहुत दानी था।
 सवालातः-
 1- महमूद गजनवी ने हिन्दुस्तान पर 17 हमले क्यों किये थे?
2- महमूद गजनवी ने 17 हमले किस मुल्क पर किये थे?
3- हिन्दुस्तान पर 17 हमले किस बादशाह  ने किये थे?
4- महमूद गजनवी ने हिन्दुस्तान पर 18 हमले क्यों नहीं किये? 17 पर क्यों उकता गया ?
नोटः- सवाल नं0 चार,एक,तीन और दो लाजमी है।
                                                                         -----  उर्दू की आखिरी किताब: ले0-इब्ने इन्शॉं                                                                   
( बच्चों के इम्तहान हो रहे हैं। आपने भी ये इम्तहान पास किये होंगें। कभी ध्यान दिया शिक्षा और परीक्षा ऐसे ही सोच से हो रही हैं। )
                      -- अमरनाथ ‘मधुर‘ 
         

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