मंगलवार, 30 अगस्त 2011

कविता -अन्ना हजारे - डॉ ईश्वर चाँद गंभीर

तुम   वीर,  देशभक्त  हो,  आदर्श  हमारे,
जुग-2 जियो खुशहाल रहो अन्ना हजारे | 


आंधी में जलाया है जो  दीपक न बुझेगा, 
ये  रूप  ये  संकल्प जमाने  में  पुजेगा, 
गांधी की तरह तुम कभी हिम्मत नहीं हारे |
करता  है कौन  देश की परवाह  आजकल, 
तुम चल पड़े तो चल पड़ा सेनानियों का दल,  
टूटे   हैं   भ्रष्टाचार   के    मजबूत   सहारे |                        


आवाज युवाओं ने मिलाई  है साथ में,
अब डोर एकता की आ गयी है हाथ में, 
लगता है कि हो जायेंगे गुरबत में गुजारे |
रैली  करो अनशन करो परिणाम चाहिये,
अब  मुक्त  लूटपाट  से  आवाम  चाहिये,
संघर्ष    में   है  सारा  वतन  साथ  तुम्हारे |

तुम  कर्मशील  और  हो  कर्तव्य  परायण, 
एक हाथ में गीता लिए एक हाथ रामायण,
तुमने  लगाए  वन्दे  मातरम  के  ही नारे |  

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