जिनके शौर्य दिवस का साक्षी अयोध्या का चप्पा चप्पा,
जिनके लिये ऑंख बन्द करके हमने खूब लगाया ठप्पा। करगिल से कन्धार तलक अकिंत हैं जिनकी शौर्य कथायें,
आओ ऐसे राष्ट्वादियों को हम अपना शीश झुकायें।

हम हैं जनता याद कहॉं है हमे भूलने की बीमारी,
सन सैंतालिस में भी इनकी रही बहुत कुर्बानी भारी।
उस बापू को मिटा दिया था जो दिल से दे रहा मिटाये,
कागज के टुकडों पर अकिंत कर हो गई जो सीमा रेखायें।

बहुत दिनों की बात नहीं ये और अधिक पीछे क्या जाना,
आओ फिर से याद करें हम भारत छोडों का वह जमाना।
जब भारत का बच्चा बच्चा आजादी की अलख जगाये,
ये थे अटल बात पर अपनी हमको हैं कुछ लौग फॅंसायें।
जब-जब तुम इतिहास पढोगे जहॉं मिलेगा काला पन्ना,
ऐसे छदम देशभक्तों की लिखी मिलेगी सही तमन्ना।
उसे गौर से पढना भाई दबी ढकी हैं सत्य कथायें
और यही हैं इनकी असली गौरवशाली परम्परायें।
जय सुभाष, जय गॉंधी कहना, कहने में अब क्या जाता है?
ये तो हिटलर के वारिस हैं इनका उनसे क्या नाता है?
बहुत दिनों तक बहुत जोर से स्वदेशी के ढोल बजाये
इनका श्रीराम भी नकली स्वदेशी का ढोल बजाये ।
सत्ता पूंजी की चेरी है पूंजी अमरीकन, जापानी
जिसके संग गलबाहे डाले अपनी जोगन हिन्दुस्तानी।
इसका नैन मटक्का देखो लटके झटको से भरमाये,
कभी साध्वी, विश्वसुन्दरी जाने कितने रूप रचाये।
'एक हिंदू या मुसलमान गधा हो सकता है, लेकिन एक गधा हिंदू या मुसलमान नहीं हो सकता।'
जवाब देंहटाएं