शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कविता -दिसम्बर लौट आया है !


[लाहौर से दोस्त 'उस्मान मुनीर' ने पैगाम भेजा है|]



'उससे कहना दिसम्बर 



लौट आया है !



हवाएं सर्द हैं और वादियाँ 



भी धुंध में गुम हैं !



पहाड़ों ने बरफ की शाल



फिर से ओढ़ रखी है !



... सभी रस्ते तुम्हारी याद  



में पुर 'नम से लगते हैं !



जिन्हें शरफ -ए - मुसफत था !



वो सारे कार्ड्स , वो परफूम , 



वो छोटी सी डायरी !



वो टेरिस , वो चाय , 


जो हम ने साथ में पी थी !


तुम्हारी याद लाते हैं 

तुम्हें वापिस बुलाते हैं !

उससे कहना के देखो यूँ  

सताओ न !

दिसम्बर लौट आया है !

सुनो !

तुम लौट आओ न ....!



 


1 टिप्पणी:

  1. Ashutosh Kumar खूबसूरत !
    Friday at 6:34pm · Unlike · 1

    Vijaya Singh Sunder...
    Friday at 7:10pm · Unlike · 1

    Shahbaz Ali Khan वाह अमरनाथ भाई बहुत उम्दा... बहुत सुंदर कविता है.. धन्यवाद इसे शेअर करने के लिए....
    Friday at 9:35pm · Like

    Sudhakar Ashawadi Sharma mausam ka mizaz khoob pahachana hai dost
    Saturday at 8:05am · Like · 1

    Kumar Pankaj madhur ji....yadi sanbhav ho to apni pic chng kar lein...... apki pic bhi apki tarah spast hoti to betr lagta
    4 hours ago · Like
    Amarnath Madhur आप सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद| इस काव्य चयन की प्रशंसा के असली हकदार भाई उस्मान मुनीर[लाहौर ] हैं | आपका सन्देश मैं उन तक पहुंचा रहा हूँ |
    a few seconds ag

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