[लाहौर से दोस्त 'उस्मान मुनीर' ने पैगाम भेजा है|]
'उससे कहना दिसम्बर
लौट आया है !
हवाएं सर्द हैं और वादियाँ
भी धुंध में गुम हैं !
पहाड़ों ने बरफ की शाल
फिर से ओढ़ रखी है !
... सभी रस्ते तुम्हारी याद
में पुर 'नम से लगते हैं !
जिन्हें शरफ -ए - मुसफत था !
वो सारे कार्ड्स , वो परफूम ,
वो छोटी सी डायरी !
वो टेरिस , वो चाय ,
जो हम ने साथ में पी थी !
तुम्हारी याद लाते हैं
तुम्हें वापिस बुलाते हैं !
उससे कहना के देखो यूँ
सताओ न !
दिसम्बर लौट आया है !
सुनो !
तुम लौट आओ न ....!
Ashutosh Kumar खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंFriday at 6:34pm · Unlike · 1
Vijaya Singh Sunder...
Friday at 7:10pm · Unlike · 1
Shahbaz Ali Khan वाह अमरनाथ भाई बहुत उम्दा... बहुत सुंदर कविता है.. धन्यवाद इसे शेअर करने के लिए....
Friday at 9:35pm · Like
Sudhakar Ashawadi Sharma mausam ka mizaz khoob pahachana hai dost
Saturday at 8:05am · Like · 1
Kumar Pankaj madhur ji....yadi sanbhav ho to apni pic chng kar lein...... apki pic bhi apki tarah spast hoti to betr lagta
4 hours ago · Like
Amarnath Madhur आप सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद| इस काव्य चयन की प्रशंसा के असली हकदार भाई उस्मान मुनीर[लाहौर ] हैं | आपका सन्देश मैं उन तक पहुंचा रहा हूँ |
a few seconds ag