सोमवार, 30 जनवरी 2012

'बापू के हत्यारे' 'باپو کے قاتل'



'क़ानून  में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी जिससे उनके [ गॉंधीजी] किये की सजा दी जा सकती ....मैंने महसूस किया कि  उन्हें स्वभाविक मौत नहीं मरने देना चाहिये। मैंने इसे अपना कर्त्तव्य समझा  कि इस तथाकथित राष्ट्र -पिता के प्राण ले लूँ।' --------- नाथूराम गोडसे 


  नाथूराम गोडसे  के पिता का नाम विनायक गोडसे था । वह डाक विभाग के मामूली कर्मचारी थे। नाथूराम के तीन बडे भाई और एक बहन अकाल मृत्यु प्राप्त हुये थे इसलिये नाथूराम को लड़की  की तरह पाला गया । उनका बचपन का नाम रामचन्द्र था लेकिन लौग उसे राम ही कहते थे। चूकि वह लड़कियों  की तरह नथ पहनता था इसलिये उसे नाथूराम कहा जाने लगा । 
  बडा होकर नाथूराम सावरकर का सेक्रटेरी बना। वे भारत को एक ऐसा हिन्दुराष्ट बनाना चाहता थे जो मूलत धर्मनिरपेक्ष राज्य रहे जिसमें सभी नागरिकों के धर्म जाति के फर्क के आधार के बिना  समान अधिकार और कर्त्तव्य हैं। वे  मुसलमानों को विशेष अधिकार के खिलाप थे। पहले विष्वयुद्ध के दौरान  सावरकर अण्डमान में कैद थे और यह मनाते रहे कि जर्मनों की जीत हो। लेकिन दूसरों महायुद्ध में उन्होंने अपने अनुयायिओं को अग्रेंजो की फौज में भर्ती होने के लिये प्रेरित किया जिससे बाद में प्रशिक्षित हिन्दु रक्षक दल तैयार किया जा सके। ।
   काग्रेंस के नेता उन्हें अपना शत्रु तो नहीं पर गददार अवश्य समझने लगे थे क्योंकि वह ऐसे समय में अग्रेजो की सहायता कर रहे थे जब उन्होंने अग्रेंजों से फौरन देश छोडने के लिये कहा था। 

        नाथूराम का साथी नरायण आप्टे  बहुत रंगीन मिजाज व्यक्ति था। वह  खूबसूरत था कुछ  कुछ औरतों जैसा। और उसे इस बात का गर्व था  कि  वह चुटकी बजाते ही औरतों को वश में कर लेता है। आप्टे गॉंधीजी से बेहद नफरत करता था । नाथूराम का तीसरा साथी दिगम्बर बडगे छोटे कद का लेकिन गठे बदन का आदमी था। उसका चेहरा ऐसा विकृत था जैसे टेडे मेडे आईने में अक्श दिखायी देता हो। बचपन में चोट लग जाने की वजह से उसकी एक ऑंख दूसरी से छोटी हो गयी थी। जिसकी वजह से वह ऐंचाताना लगता था। वह नाटक के किसी सूरमा की तरह अकडकर चलता था। बातें करते समय अपनी बात का महत्व जताने के लिये वह बीच बीच में बडे लागों के नाम लेता रहता था। ठिगने कद और ऐंचीतानी ऑंखों की वजह से वह भीड में भी उसे आसानी से पहचाना जा सकता था फिर भी वह अपने बारे में इस भ्रम में रहता था  कि वह उट पटॉंग वेष बदलकर पहचाने जाने से बच सकता है। पह चाकू  छुरे बेचने का धन्धा करता था | उसने अपने नौकर शंकर  किस्टैया को कभी भी तनख्वाह  नहीं दी। एक बार जब किस्टैया की मॉं उसके पास आकर बहुत गिडगिडायी कि छ महीनेसे  कुछ भी न मिलने के कारण वह भुखमरी की हालत में है। तब भी  उसने कुछ नहीं दिया। इस पर किस्टैया नौकरी छोडकर भाग गया। बडगे ने तुरन्त थाणे  में रपट लिखा दी कि उसका नौकर 200 रू0 लेकर भाग गया है। पुलिस शंकर किस्टैया को घर से पकड लायी। पुलिस के हथकंडों से किस्टैया के मन में यह डर भली भॉंति बैठा दिया कि बडगे शक्तिशाली आदमी है। उसने बडगे से दया की भीख मॉंगी। बढगे ने उसकी जमानत ले ली और उसकी तनख्वाह भी बढा दी। हालाकि उसे अपनी तनख्वाह का बडा हिस्सा कभी नहीं मिला फिर भी बडगे की सेवा करता रहा। 

    फॉंसी के तख्ते की और बढते हुये उन दोनों ने नारा लगाया 'अखण्ड भरत अमर रहे'। नाथूराम और आप्टे अपनी कोठरी से काले कपडे पहने हुये और हाथों में अखण्ड भरत का नक्शा , हिन्दू महासभा का भगवा झण्डा और गीता की एक एक प्रति लिये हुये निकले । फॉंसी के तख्ते पर चढते हुये यह गीत का रहे थे -
            'नमस्ते सदा वत्सले मातृ भू में त्वा हिन्दू भू में सुखं वर्द्धितोहं।'

[पृष्ठ संख्या 171 बापू के हत्यारे ले0 मनोहर मूलगॉंवकर]


'باپو کے قاتل'



'قانون میں ایسی کوئی نظام نہیں تھی جس سے ان کے [گدھيجي] کیے کی سزا دی جا سکتی.... میں نے محسوس کیا کہ انہیں سوبھاوك موت نہیں مرنے دینا چاہیے. میں نے اسے اپنا فرض سمجھا کہ اس نام نہاد قوم -- باپ کے جان لے لوں. '
  ناتھورام گوڈسے کے والد کا نام ونايك گوڈسے تھا. وہ ای میل کے شعبے کے معمولی ملازم تھے.ناتھورام کے تین بڑے بھائی اور ایک بہن اکال موت حاصل ہوئے تھے پس ناتھورام کو لڑکی کی طرح پالا گیا. ان کا بچپن کا نام رامچندر تھا لیکن لوگ اسے رام ہی کہتے تھے. چوك وہ لڑکیوں کی طرح نتھ پہنتا تھا اسلیے اسے ناتھورام کہا جانے لگا. 
  بڑا ہو کر ناتھورام ساوركر کا سےكرٹےري بنا. وہ بھارت کو ایک ایسا هندراشٹ بنانا چاہتا تھا جو مولت سیکولر ریاست رہے جس میں تمام شہریوں کے مذہب ذات کے فرق کی بنیاد کے بغیر مساوی حقوق اور فرض ہیں. وہ مسلمانوں کو خصوصی حق کے كھلاپ تھے. پہلے وشويددھ کے دوران ساوركر اڈمان میں قید تھے اور یہ مناتے رہے کہ جرمنو کی جیت ہو. لیکن دوسروں مهايددھ میں انہوں نے اپنے انيايو کو اگرےجو کی فوج میں بھرتی ہونے کے لئے حوصلہ افزائی کی جس سے بعد میں تربیت یافتہ ہندو محافظ جماعت تیار کیا جا سکے. .
   كاگرےس کے لیڈر انہیں اپنا دشمن تو نہیں پر گددار ضرور سمجھنے لگے تھے کیونکہ وہ ایک ایسے وقت میں اگرےجو کی مدد کر رہے تھے جب انہوں نے اگرےجو سے فورا ملک چھوڑنے کے لئے کہا تھا. 

        ناتھورام کا ساتھی نراي اپٹے بہت رنگین مزاج شخصیت تھا. وہ خوبصورت تھا کچھ کچھ عورتوں جیسا. اور اسے اس بات کا فخر تھا کہ وہ چٹکی بجاتے ہی عورتوں کو بس میں کر لیتا ہے.اپٹے گدھيجي سے بے حد نفرت کرتا تھا. ناتھورام کا تیسرا ساتھی دگمبر بڈگے چھوٹے قد کا لیکن گٹھے بدن کا آدمی تھا. اس کا چہرہ ایسا وكرت تھا جیسے ٹےڈے مےڈے آئینے میں اكش دکھائی دیتا ہو. بچپن میں چوٹ لگ جانے کی وجہ سے اس کی ایک آنکھ دوسری سے چھوٹی ہو گئی تھی. جس کی وجہ سے وہ ےچاتانا لگتا تھا. وہ ڈرامہ کے کسی سورما کی طرح اكڈكر چلتا تھا. باتیں کرتے وقت اپنی بات کی اہمیت جتانے کے لئے وہ درمیان درمیان میں بڑے لاگو کے نام لیتا رہتا تھا. ٹھگنے قد اور ےچيتاني آنکھوں کی وجہ سے وہ بھیڑ میں بھی اسے آسانی سے پہچانا جا سکتا تھا پھر بھی وہ اپنے بارے میں اس غلط فہمی میں رہتا تھا کہ وہ اٹ پٹگ وےش بدل کر پہچانے جانے سے بچ سکتا ہے. په چاقو چھرے فروخت کرنے کا دھندھا کرتا تھا | اس نے اپنے نوکر شنکر كسٹےيا کو کبھی بھی تنخواہیں نہیں دی. ایک بار جب كسٹےيا کی م اس کے پاس آکر بہت گڈگڈايي کہ چھ مهينےسے کچھ بھی نہ ملنے کی وجہ سے وہ فاقہ کشی کی حالت میں ہے. تب بھی اس نے کچھ نہیں دیا. اس پر كسٹےيا نوکری چھوڑ کر بھاگ گیا. بڈگے نے فورا تھانے میں رپٹ لکھا دی کہ اس کا نوکر 200 رو 0 لے کر بھاگ گیا ہے. پولیس شنکر كسٹےيا کو گھر سے پکڑ لائی. پولیس کے هتھكڈو سے كسٹےيا کے دل میں یہ ڈر بھلی بھت بیٹھا دیا کہ بڈگے طاقتور آدمی ہے. اس نے بڈگے سے رحم کی بھیک مگي. بڈھگے نے اس کی ضمانت لے لی اور اس کی تنخواہیں بھی بڑھا دی. حالانکہ اسے اپنی تنخواہیں کا بڑا حصہ کبھی نہیں ملا پھر بھی بڈگے کی خدمت کرتا رہا. 

    پھسي کے تكھتے کی اور بڈھتے ہوئے ان دونوں نے نعرہ لگایا 'اكھڈ بھرت امر رہے'. ناتھورام اور اپٹے اپنی کوٹھری سے کالے کپڑے پہنے ہوئے اور ہاتھوں میں اكھڈ بھرت کا نقشہ ، ہندو عظیم جلسہ کا بھگوا پرچم اور گیتا کی ایک ایک فی لئے ہوئے نکلے. پھسي کے تكھتے پر چڈھتے ہوئے یہ گیت کا رہے تھے --
            'نمستے ہمیشہ وتسلے مادری زمین میں توا ہندو زمین میں سكھ ورددھتوه.'

[صفحہ نمبر 171 باپو کے قاتل لے 0 منوہر مولگوكر]

1 टिप्पणी:

  1. Shraddhanshu Shekhar HAHAHA [उनका बचपन का नाम रामचन्द्र था लेकिन लौग उसे राम ही कहते थे। चूकि वह लड़कियों की तरह नथ पहनता था इसलिये उसे नाथूराम कहा जाने लगा ।]
    Monday at 7:52am · LikeUnlikeShraddhanshu Shekhar hindu rashtr or dharm nirpekshta - virodhabhaasi hai [वे भारत को एक ऐसा हिन्दुराष्ट बनाना चाहता थे जो मूलत धर्मनिरपेक्ष राज्य रहे]
    Monday at 7:52am · LikeUnlikeShraddhanshu Shekhar ativaadi hindutv bhi desh k liye khatra hai.. yadyapi mai gaandhi bhakt bhi nhi hu..
    Monday at 7:54am · LikeUnlikeShraddhanshu Shekhar nayi jaankaari dene k liye shukriya..
    Monday at 7:55am · LikeUnlikeAmarnath Madhur स्पष्टीकरण तो लेखक ही दे सकता है | चाहें तो ज्यादा जानकारी के लिए लेखक की पूरी किताब पढ़ लें | सभी बिन्दुओं पर सभी की पूरी सहमति जरूरी नहीं है |
    Monday at 8:00am · LikeUnlikeShraddhanshu Shekhar hindi ke niche kis bhasha me likha hai aap ne.? wo muje BOXes roop me hi dikhayi de rhe hai..
    Monday at 8:03am · LikeUnlikeAmarnath Madhur मैं समझता हूँ ये अच्छी किताब है आप भी इसे पढ़ें | ब्लॉग पर कमेन्ट देगें तो ज्यादा अच्छा लगेगा |
    Monday at 8:04am · LikeUnlikeAmarnath Madhur मेरी हर पोस्ट हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में होती है | मुझे दोनों से बहुत प्यार है |
    Monday at 8:07am · LikeUnlike · 1Girijesh Tiwari आर.एस.एस. दंगा करवाता, जहाँ कहीं भी मौका पाता;
    उसके गुण्डों का कहना है, ''मुसलमान को यदि रहना है,
    "जय श्री राम" सुनाना होगा, वरना उन्हें भगाना होगा,
    केवल हिंदू सदा सही है, हिंदू तो लड़ता ही नहीं है."
    सीधा-सादा भोला-भाला इनका हिन्दू सारा ही है !
    याद करो सन चौरासी को, किसने सिक्खों को जलवाया?
    जिसने मस्ज़िद को तोड़ा था, उसको कितना सज्जन पाया?
    दारा सिंह की गुण्डागर्दी दो बच्चों को फूँक गयी है,
    अभी नहीं है बात पुरानी, वह भी घटना नयी-नयी है.
    दारा सिंह भी तो हिन्दू है, और गोडसे हिन्दू ही था !
    गाँधी पर गोलियाँ चला कर जिसने बापू-वध कर डाला !
    उसी गोडसे के गुण गा कर आर.एस.एस. है बात कर रहा?
    हिन्दू-हिन्दू चिल्लाता है, मानवता से घात कर रहा!
    Monday at 8:11am · LikeUnlike · 2Shraddhanshu Shekhar oh ..achi baat hah. urdu mere phon me dekh nhi paata lekin hindi me b likhne k liye dhanyawad :)
    Monday at 8:11am · LikeUnlikeAmarnath Madhur मंदिर मस्जिद के झगड़ों में, दलितों पिछड़ों में अगड़ों में| भर पाए कोई जहर नहीं, ना टूटें कोई कहर कहीं |ये देश हमारा सबका है बाबा का नहीं किसी का है|
    Monday at 8:14am · LikeUnlike · 1Shraddhanshu Shekhar sahi baat @ Girijesh Tiwari ji
    Monday at 8:14am · LikeUnlike · 1Amarnath Madhur ‎'एक हमारी और एक उनकी मुल्क में हैं आवाजे दोअब ये तुम पर कौन सी तुम आवाज सुनों तुम क्या मानों' -जावेद अख्तर |
    Monday at 8:17am · LikeUnlike · 2

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