आतंकवाद के दमन के नाम पर पूरी दुनिया में अमरीका  जिस तरह से अपने साम्राज्यवादी  मन्सूबों को पूरा करने के लिये एक के  बाद एक राष्ट्र की सम्प्रभुता को तहस नहस करने में लगा है उसका ताजा शिकार ईरान होने वाला है। 'इस्लामी आतंकवाद' जैसा दुर्भावना पूर्ण विशेषण भी उसी ने सारी दुनिया में प्रचारित किया है। कुछ लोग जब इस विशेषण का विरोध करते तो उन्हें आतंकवादियों का हमदर्द बताया जाता। भारत में ऐसे लोग हिन्दू विरोधी भी घोषित किये जाते रहे और कुछ लोगों के लिये इसका मतलब राष्ट्रविरोधी भी हो गया।ऐसे हाल  में  बहुत जोर देकर यह कहना कि इस्लामी आतंकवाद जैसा कुछ नहीं है बडे साहस का काम हो गया था फिर भी कुछ  लोग बराबर यह कहते रहे कि इस्लाम और आतंकवाद एक नहीं है। 
               इसी बीच 'लविंग जेहाद' का विशेषण भी हवा में तैरने लगा। ये माना जाने लगा कि लडका अगर मुसलमान है और लडकी अन्य धर्म की है तो यह  लविंग जेहाद है| 'लविंग जेहाद' हिन्दुओं के खिलाफ मुसलमानों की सोची समझी साजिश है,ये बात पूरे जोर शौर से फैलायी गयी और जो ये कहता कि लविंग जेहाद कहना गलत है उसके साथ लोग अभद्र व्यवहार पर उतारू हो जाते । अपने साथ ऐसे वाकिये होते रहते हैं। फिर भी हमने ये कहना जारी रखा है कि लविंग जेहाद कहीं नहीं है। जब प्रेम उपजता है तो वह धर्म, जाति, गोत्र, उच- नीच, अमीर- गरीब, काला -गोरा कुछ नहीं देखता। वैसे भी प्रेम प्रसंग की समस्यायें एक धर्म और एक ही जाति में ज्यादा हो रही हैं दो धर्मावलम्बियों के बीच में अभी वे कम हैं। अगर ऐसा ना होता तो ऑनर किलिंग ना होती। लेकिन ऑनर किलिंग और ऐसे ही दूसरे मुददों से ध्यान हटाने के लिये लविंग जेहाद को मुददा बनाया जाता है जो कही है ही नहीं।
                    ये सामप्रदायिक लोगों के दिमाग की अपनी मौलिक उपज है। इससे  साबित होता कि मुसलमानों के विरुध्द दुष्प्रचार में ये अमेरिका के भी गुरू बनने लायक है और वह इनसे बहुत कुछ सीख   सकता  है । इस दुष्प्रचार के खतरों  से ये वाकिफ नहीं थे | हम थे  इसी लिए  हमने इस्लामी आतंकवाद विशेषण को हमेशा खारिज किया। लेकिन हमारी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गयी। अब जब से एक के बाद एक आतंकवादी घटनाओं में संघ प्रशिक्षित हिन्दू कार्यकर्ताओं की गिरप्तारी शुरू हुई है 'हिन्दू आतंकवादी' विशेषण का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। मुझे जहॉं तक याद आता है  सबसे पहले बी0बी0सी0 लन्दन ने अपने प्रसारण में पादरी ग्राहम स्टेंस को जिन्दा जलाने वाले संघ कार्यकर्ता दारा सिंह के लिये हिन्दू आतंकवादी शब्द का प्रयोग किया था। तब से अनेक संघ कार्यकर्ता गिरप्तार किये जा चुके है और इस विशेषण का प्रयोग भी अच्छा खासा होने लगा है। 
ऐसा लगता है कि जब तक अमेरिका इस्लामी देशों से निपटकर भारत का नम्बर लगायेगा, तब तक हिन्दू आतंकवादी शब्द इतना प्रचारित प्रसारित हो चुका होगा कि बाकी दुनियॉं की मानसिकता हिन्दू आतंकवाद सुनने समझने के लिए लिये पहले से तैयार मिलेगी और हमारी सफाई पर ऐसे ही भरोसा नहीं किया जायेगा जैसे अधिकॉंश लोग इस्लामी आतंकवाद विशेषण को खारिज करने पर नहीं करते। लोग इसके खतरे को नहीं समझ पा रहे हैं लेकिन यह तय है कि दुनियॉ के दूसरे सबसे बडे बाजार और प्राकृतिक संशाधनों से भरपूर भारत को पूरी तरह से अपने कब्जे में रखने की जंग एक दिन जरूर होगी और हिन्दू आतंकवाद और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा इसका बहाना बनेगा।
ऐसा लगता है कि जब तक अमेरिका इस्लामी देशों से निपटकर भारत का नम्बर लगायेगा, तब तक हिन्दू आतंकवादी शब्द इतना प्रचारित प्रसारित हो चुका होगा कि बाकी दुनियॉं की मानसिकता हिन्दू आतंकवाद सुनने समझने के लिए लिये पहले से तैयार मिलेगी और हमारी सफाई पर ऐसे ही भरोसा नहीं किया जायेगा जैसे अधिकॉंश लोग इस्लामी आतंकवाद विशेषण को खारिज करने पर नहीं करते। लोग इसके खतरे को नहीं समझ पा रहे हैं लेकिन यह तय है कि दुनियॉ के दूसरे सबसे बडे बाजार और प्राकृतिक संशाधनों से भरपूर भारत को पूरी तरह से अपने कब्जे में रखने की जंग एक दिन जरूर होगी और हिन्दू आतंकवाद और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा इसका बहाना बनेगा।
                  नरेन्द्र मोदी जैसे मुख्य मंत्री जिसे अमेरिका अपने देश में घुसने भी नहीं  देता यदि भारत का प्रधान मंत्री बन जाये तो अमरीका के लिये अपने लक्ष्य को पाने  की राह और आसान हो जायेगी। इसलिये लविंग जेहाद, इस्लामी आतंकवाद के साथ ही  हिन्दू आतंकवाद, भगवा आतंकवाद  की संज्ञा विशेषण को तुरन्त खारिज किया जाना बहुत जरूरी है। 
                                        
यह इसलिये भी जरूरी है कि हम नाम के ही अहिंसक हैं वरना हिसा ही हमारा मूल धर्म है। अगर ऐसा न होता तो हम बुद्ध, महावीर और गॉंधी के दर्शन को ना ठुकराते। हमारे यहॉं मूल वैदिक धर्म में यज्ञ कर्म में हिसा शामिल है और हम इससे मना भी नहीं कर सकते, कि हमारे सारे देवता शस्त्रधारी है।[बडे बडे देवता शस्त्रों के बडे सप्लायर हैं। जैसे आज अमेरिका पाकिस्तान को भी हथियार बेच देता है और हिन्दूस्तान को भी | ऐसे ही बडे बडे देवता जो निश्चय ही अपने जमाने की महाशक्ति रहे होंगें डिमान्ड पर देवताओं, राक्षसों दोनों को हथियार थमा देते थे।] दुनियॉं मेंकिसीधर्मकेप्रवर्तकों,दार्शनिकों,प्रचारकों का हथियारों से ऐसा लगाव नहीं मिलता। जब हमारे देवताओं का ये हाल है फिर हमें आतंकवादी करार देने में किसी को क्या दिक्कत हो सकती है। एक कथित प्रगतिशील महा विचारक तो पहले ही हनुमान को दुनिया का पहला आतंकवादी घोषित कर चुके हैं।
                                                
यह इसलिये भी जरूरी है कि हम नाम के ही अहिंसक हैं वरना हिसा ही हमारा मूल धर्म है। अगर ऐसा न होता तो हम बुद्ध, महावीर और गॉंधी के दर्शन को ना ठुकराते। हमारे यहॉं मूल वैदिक धर्म में यज्ञ कर्म में हिसा शामिल है और हम इससे मना भी नहीं कर सकते, कि हमारे सारे देवता शस्त्रधारी है।[बडे बडे देवता शस्त्रों के बडे सप्लायर हैं। जैसे आज अमेरिका पाकिस्तान को भी हथियार बेच देता है और हिन्दूस्तान को भी | ऐसे ही बडे बडे देवता जो निश्चय ही अपने जमाने की महाशक्ति रहे होंगें डिमान्ड पर देवताओं, राक्षसों दोनों को हथियार थमा देते थे।] दुनियॉं मेंकिसीधर्मकेप्रवर्तकों,दार्शनिकों,प्रचारकों का हथियारों से ऐसा लगाव नहीं मिलता। जब हमारे देवताओं का ये हाल है फिर हमें आतंकवादी करार देने में किसी को क्या दिक्कत हो सकती है। एक कथित प्रगतिशील महा विचारक तो पहले ही हनुमान को दुनिया का पहला आतंकवादी घोषित कर चुके हैं।
           इसलिये मैं फिर कहता हूँ  कि इससे पहले कि दुनियॉं हमें  आतंकवादी करार दे हमें साम्राज्यवादी साजिश का विरोध करना चाहिये और आतंकवादी, कटटरपंथी, अलगावादी जैसे विशेषण ही प्रयोग में लाने चाहिये|आतंकवाद और आतंकवादियों को धर्म या नस्ल से एकरूप नहीं करना चाहिये। इस प्रसंग में मुझे अपनी एक पुरानी कविता याद आ गयी है उसे भी देख लीजिये।    
   भगवा झण्डा
ये भगवा झण्डा किसका है?  
झण्डे में डण्डा किसका है?             
झण्डा तो अपना लगता है            
न जाने डण्डा किसका है ?                                                                                                                                  
ये झडा लेकर कौन चला  ?                     
ये खाकी नेकर कौन बला ?                                
ये काली टोपी कैसी है  ?                            
देशी तो नहीं विदेशी है|                              
इनको जानो पहचानों तुम      
इनका रंग ढंग हिटलरका है|                                             
ये झण्डा लिये कहॉं जाते  ?                      
हरहर बमबमक्यों चिल्लाते ?                    
लगते फौजी टुकडी से हैं                       
कुछ इठलाते कुछ इतराते ।                             
इनके लाठी लहराते ही                    
हिंसा होगी डर लगता है।
हम इतने क्यों हैं घबराते ?             
फौजी तो आते और जाते                
समझा ये नकली फौजी हैं                         
धंधा  इनका खूरेंजी  है ।
वो इनका टोली नायक है                    
जो आग लगाकर खिसका है ।                            
ये गुण्डे और मवाली हैं                   
करतूते इनकी काली हैं । 
इनसे चौकस रहना होगा                          
डरना कैसा लडना होगा ।           
गर ये पत्थर दिल रखते हैं                        
अपना दिल शेर बबर का है।                                     
मन्दिर मस्जिद के झगडों मे               
दलितों पिछडों में अगडो में।          
भर पाये  कोई  जहर नहीं         
न  टूटे  कोई  कहर  कहीं।                                                                         
ये देश हमारा सबका है                   
बाबा का नहीं किसी का है|  
دہشت گردی کے مظالم کے نام پر پوری دنیا میں امریکہ جس طرح سے اپنے سامراجی منسوبو کو مکمل کرنے کے لئے ایک کے بعد ایک قوم کی سمپربھتا کو تہس نہس کرنے میں لگا ہے اس کا تازہ شکار ایران ہونے والا ہے. 'اسلامی دہشت گردی' جیسا دربھاونا مکمل وشےش بھی اسی نے ساری دنیا میں نشر کیا ہے. کچھ لوگ جب اس وشےش کی مخالفت کرتے تو انہیں دہشت گردوں کا ہمدرد قرار دیا جاتا. بھارت میں ایسے لوگ ہندو مخالف بھی اعلان کئے جاتے رہے اور کچھ لوگوں کے لئے اس کا مطلب راشٹرورودھي بھی ہو گیا. ایسے حال میں بہت زور دے کر یہ کہنا کہ اسلامی دہشت گردی جیسا کچھ نہیں ہے بڑے حوصلہ کا کام ہو گیا تھا پھر بھی کچھ لوگ برابر یہ کہتے رہے کہ اسلام اور دہشت گردی ایک نہیں ہے. اسی دوران 'لوگ جہاد' کا وشےش بھی ہوا میں تےرنے لگا. یہ مانا جانے لگا کہ لڑکا اگر مسلمان ہے اور لڑکی دوسرے مذہب کی ہے تو یہ لوگ جہاد ہے | 'لوگ جہاد' ہندوؤں کے خلاف مسلمانوں کی سوچی سمجھی سازش ہے، یہ بات پورے زور شور سے پھےلايي گی اور جو یہ کہتا کہ لوگ جہاد کہنا غلط ہے اس کے ساتھ لوگ بدتمیزی پر آمادہ ہو جاتے. اپنے ساتھ ایسے واقعہ ہوتے رہتے ہیں. پھر بھی ہم نے یہ کہنا جاری رکھا ہے کہ لوگ جہاد کہیں نہیں ہے. جب محبت اپجتا ہے تو وہ مذہب، ذات، ذات، اچ - نیچ، امیر - غریب، سیاہ - گورا کچھ نہیں دیکھتا. ویسے بھی محبت ایسا موقع کی مشکلات ایک مذہب اور ایک ہی ذات میں مزید ہو رہی ہیں دو دھرماولمبيو کے درمیان میں ابھی وہ کم ہیں. اگر ایسا نہ ہوتا تو آنر کلنگ نہ ہوتی. لیکن آنر کلنگ اور دوسرے مددو سے توجہ ہٹانے کے لئے لوگ جہاد کو مددا بنایا جاتا ہے جو کہی ہے ہی نہیں. یہ سامپردايك لوگوں کے دماغ کی اپنی بنیادی پیداوار ہے. اس سے ثابت ہوتا کہ مسلمانوں کے وردھد دپرچار میں یہ امریکہ کے بھی استاد بننے کے قابل ہے اور وہ ان سے بہت کچھ سیکھ سکتا ہے. اس کے خطرات سے یہ واقف نہیں تھے | ہم تھے اسی لئے ہم نے اسلامی دہشت گردی وشےش کو ہمیشہ مسترد کیا. لیکن ہماری آواز نككاركھانے میں طوطی کی آواز بن کر رہ گئی. اب جب سے ایک کے بعد ایک دہشت گرد واقعات میں سنگھ تربیت یافتہ ہندو کارکنوں کی گرپتاري شروع ہوئی ہے ہندو دہشت گرد وشےش کا بھی استعمال کیا جانے لگا ہے. مجھے جہاں تک یاد آتا ہے سب سے پہلے بی 0 بی 0 سی 0 لندن نے اپنے نشریات میں پادری گراہم سٹےس کو زندہ جلانے والے یونین کارکن دارا سنگھ کے لیے ہندو دہشت گرد کا لفظ استعمال کیا تھا. تب سے کئی یونین کارکن گرپتار کی جاچکی ہے اور اس وشےش کا استعمال بھی اچھا خاصا ہونے لگا ہے. ایسا لگتا ہے كجب تک امریکہ اسلامی ممالک سے نپٹكر بھارت کا نمبر لگائے، اس وقت تک ہندو دہشت گرد لفظ اتنا تشہیر نشر ہو چکا ہوگا کہ باقی دني کی ذہنیت ہندو دہشت گردی سننے سمجھنے کے لئے لئے پہلے سے تیار ملے گی اور ہماری صفائی پر ایسے ہی اعتماد نہیں کیا جائے گا جیسے ادھكش لوگ اسلامی دہشت گردی وشےش کو مسترد کرنے پر نہیں کرتے. لوگ اس کے خطرے کو نہیں سمجھ پا رہے ہیں لیکن یہ طے ہے کہ دني کے دوسرے سب سے بڑے بازار اور قدرتی سشادھنو سے بھرپور بھارت کو پوری طرح سے اپنے قبضے میں رکھنے کہ جنگ ایک دن ضرور ہوگی اور ہندو دہشت گردی اور اقلیتوں کے تحفظ اس کا بہانہ بنے گا . نریندر مودی جیسے اہم وزیر جسے امریکہ اپنے ملک میں گھسنے بھی نہیں دیتا اگر بھارت کا وزیر اعظم بن جائے تو امریکہ کی راہ اور آسان ہو جائے گی. اس لئے لوگ جہاد، اسلامی دہشت گردی کے ساتھ ہی ہندو دہشت گردی، بھگوا دہشت گردی قرار وشےش کو فورا مسترد کر دیا جانا بہت ضروری ہے. یہ اس لئے بھی ضروری ہے کہ ہم نام کے ہی اهسك ہیں ورنہ هسا ہی ہمارا اصل مذہب ہے. اگر ایسا نہ ہوتا تو ہم بدھ مہاویر اور گدھي کے درشن کو نا ٹھكراتے. ہمارے یہاں بنیادی ویدک دھرم میں یجن کرم میں هسا شامل ہے اور ہم اس سے منابھي نہیں کر سکتے، کہ ہمارے سارے دیوتا شستردھاري ہے. [بڑے بڑے دیوتا ہتھیاروں کے بڑے سپلائر ہیں. جیسے آج امریکہ پاکستان کو بھی ہتھیار فروخت کرتا ہے اور هندوستان کو بھی | ایسے ہی بڑے بڑے دیوتا جو یقینا اپنے زمانے کی سپر پاور رہے ہوں گے ڈمانڈ پر فرشتوں، راكشسو دونوں کو ہتھیار بیچ دیتے تھے.] جب ہمارے فرشتوں کا یہ حال ہے پھر ہمیں دہشت گرد قرار دینے میں کسی کو کیا دقت ہو سکتی ہے. ایک مبینہ ترقی پسند مہا وچارك تو پہلے ہی ہنومان کو پہلا دہشت گرد قرار دے چکے ہیں.
دہشت گردی کے مظالم کے نام پر پوری دنیا میں امریکہ جس طرح سے اپنے سامراجی منسوبو کو مکمل کرنے کے لئے ایک کے بعد ایک قوم کی سمپربھتا کو تہس نہس کرنے میں لگا ہے اس کا تازہ شکار ایران ہونے والا ہے. 'اسلامی دہشت گردی' جیسا دربھاونا مکمل وشےش بھی اسی نے ساری دنیا میں نشر کیا ہے. کچھ لوگ جب اس وشےش کی مخالفت کرتے تو انہیں دہشت گردوں کا ہمدرد قرار دیا جاتا. بھارت میں ایسے لوگ ہندو مخالف بھی اعلان کئے جاتے رہے اور کچھ لوگوں کے لئے اس کا مطلب راشٹرورودھي بھی ہو گیا. ایسے حال میں بہت زور دے کر یہ کہنا کہ اسلامی دہشت گردی جیسا کچھ نہیں ہے بڑے حوصلہ کا کام ہو گیا تھا پھر بھی کچھ لوگ برابر یہ کہتے رہے کہ اسلام اور دہشت گردی ایک نہیں ہے. اسی دوران 'لوگ جہاد' کا وشےش بھی ہوا میں تےرنے لگا. یہ مانا جانے لگا کہ لڑکا اگر مسلمان ہے اور لڑکی دوسرے مذہب کی ہے تو یہ لوگ جہاد ہے | 'لوگ جہاد' ہندوؤں کے خلاف مسلمانوں کی سوچی سمجھی سازش ہے، یہ بات پورے زور شور سے پھےلايي گی اور جو یہ کہتا کہ لوگ جہاد کہنا غلط ہے اس کے ساتھ لوگ بدتمیزی پر آمادہ ہو جاتے. اپنے ساتھ ایسے واقعہ ہوتے رہتے ہیں. پھر بھی ہم نے یہ کہنا جاری رکھا ہے کہ لوگ جہاد کہیں نہیں ہے. جب محبت اپجتا ہے تو وہ مذہب، ذات، ذات، اچ - نیچ، امیر - غریب، سیاہ - گورا کچھ نہیں دیکھتا. ویسے بھی محبت ایسا موقع کی مشکلات ایک مذہب اور ایک ہی ذات میں مزید ہو رہی ہیں دو دھرماولمبيو کے درمیان میں ابھی وہ کم ہیں. اگر ایسا نہ ہوتا تو آنر کلنگ نہ ہوتی. لیکن آنر کلنگ اور دوسرے مددو سے توجہ ہٹانے کے لئے لوگ جہاد کو مددا بنایا جاتا ہے جو کہی ہے ہی نہیں. یہ سامپردايك لوگوں کے دماغ کی اپنی بنیادی پیداوار ہے. اس سے ثابت ہوتا کہ مسلمانوں کے وردھد دپرچار میں یہ امریکہ کے بھی استاد بننے کے قابل ہے اور وہ ان سے بہت کچھ سیکھ سکتا ہے. اس کے خطرات سے یہ واقف نہیں تھے | ہم تھے اسی لئے ہم نے اسلامی دہشت گردی وشےش کو ہمیشہ مسترد کیا. لیکن ہماری آواز نككاركھانے میں طوطی کی آواز بن کر رہ گئی. اب جب سے ایک کے بعد ایک دہشت گرد واقعات میں سنگھ تربیت یافتہ ہندو کارکنوں کی گرپتاري شروع ہوئی ہے ہندو دہشت گرد وشےش کا بھی استعمال کیا جانے لگا ہے. مجھے جہاں تک یاد آتا ہے سب سے پہلے بی 0 بی 0 سی 0 لندن نے اپنے نشریات میں پادری گراہم سٹےس کو زندہ جلانے والے یونین کارکن دارا سنگھ کے لیے ہندو دہشت گرد کا لفظ استعمال کیا تھا. تب سے کئی یونین کارکن گرپتار کی جاچکی ہے اور اس وشےش کا استعمال بھی اچھا خاصا ہونے لگا ہے. ایسا لگتا ہے كجب تک امریکہ اسلامی ممالک سے نپٹكر بھارت کا نمبر لگائے، اس وقت تک ہندو دہشت گرد لفظ اتنا تشہیر نشر ہو چکا ہوگا کہ باقی دني کی ذہنیت ہندو دہشت گردی سننے سمجھنے کے لئے لئے پہلے سے تیار ملے گی اور ہماری صفائی پر ایسے ہی اعتماد نہیں کیا جائے گا جیسے ادھكش لوگ اسلامی دہشت گردی وشےش کو مسترد کرنے پر نہیں کرتے. لوگ اس کے خطرے کو نہیں سمجھ پا رہے ہیں لیکن یہ طے ہے کہ دني کے دوسرے سب سے بڑے بازار اور قدرتی سشادھنو سے بھرپور بھارت کو پوری طرح سے اپنے قبضے میں رکھنے کہ جنگ ایک دن ضرور ہوگی اور ہندو دہشت گردی اور اقلیتوں کے تحفظ اس کا بہانہ بنے گا . نریندر مودی جیسے اہم وزیر جسے امریکہ اپنے ملک میں گھسنے بھی نہیں دیتا اگر بھارت کا وزیر اعظم بن جائے تو امریکہ کی راہ اور آسان ہو جائے گی. اس لئے لوگ جہاد، اسلامی دہشت گردی کے ساتھ ہی ہندو دہشت گردی، بھگوا دہشت گردی قرار وشےش کو فورا مسترد کر دیا جانا بہت ضروری ہے. یہ اس لئے بھی ضروری ہے کہ ہم نام کے ہی اهسك ہیں ورنہ هسا ہی ہمارا اصل مذہب ہے. اگر ایسا نہ ہوتا تو ہم بدھ مہاویر اور گدھي کے درشن کو نا ٹھكراتے. ہمارے یہاں بنیادی ویدک دھرم میں یجن کرم میں هسا شامل ہے اور ہم اس سے منابھي نہیں کر سکتے، کہ ہمارے سارے دیوتا شستردھاري ہے. [بڑے بڑے دیوتا ہتھیاروں کے بڑے سپلائر ہیں. جیسے آج امریکہ پاکستان کو بھی ہتھیار فروخت کرتا ہے اور هندوستان کو بھی | ایسے ہی بڑے بڑے دیوتا جو یقینا اپنے زمانے کی سپر پاور رہے ہوں گے ڈمانڈ پر فرشتوں، راكشسو دونوں کو ہتھیار بیچ دیتے تھے.] جب ہمارے فرشتوں کا یہ حال ہے پھر ہمیں دہشت گرد قرار دینے میں کسی کو کیا دقت ہو سکتی ہے. ایک مبینہ ترقی پسند مہا وچارك تو پہلے ہی ہنومان کو پہلا دہشت گرد قرار دے چکے ہیں.
           دني میں کسی مذہب کے دریافت کنندگان، دارشنكو، پرچاركو کا ہتھیاروں سے ایسا لگاؤ نہیں ملتا. اس لئے میں پھر کہتا ہوں کہ اس سے پہلے کہ دني ہمیں دہشت گرد قرار دے ہمیں سامراجی سازش کی مخالفت کرنا چاہیئے اور دہشت گرد، كٹٹرپتھي، الگاوادي جیسے وشےش ہی استعمال میں لانے چاہیے اوراتكواد اور دہشت گردوں کو مذہب یا نسل سے اسے اےكروپ نہیں کرنا چاہیے. اس ایسا موقع میں مجھے اپنی ایک پرانی نظم یاد آ گئی ہے اسے بھی دیکھ لیجیے.
بھگوا پرچم
یہ بھگوا پرچم کس کا ہے جھنڈے میں ڈڈا کس کا ہے پرچم تو اپنا لگتا ہے نہ جانے ڈڈا کس کا ہے یہ جھڈا لے کر کون چلا یہ خاکی نےكر کون بلا یہ کالی ٹوپی کیسی ہے ملکی تو نہیں غیر ملکی ہے ان کو جانو شناخت تم ان کا رنگ ڈھنگ ہٹلر کا ہے
یہ پرچم لئے كه جاتے هرهر بمبمكيو چلاتے لگتے فوجی ٹكڈي سے ہیں کچھ اٹھلاتے کچھ اتراتے ان کے لاٹھی لہراتے ہی تشدد ہوگی ڈر لگتا ہے
ہم اتنے کیوں ہیں گھبراتے فوجی تو آتے اور جاتے، سمجھا یہ نقلی فوجی ہیں دھندہ ان كھورےجي ہے وہ ان کا ٹولی ہیرو ہے جو آگ لگا کر کھسکا ہے
         
یہ گڈے اور موالی ہیں كرتوتے ان کی کالی ہیں
ان سے چوکس رہنا ہوگا ڈرنا کیسا لڈنا ہوگا
گر یہ پتھر دل رکھتے ہیں اپنا دل شیر ببر کا ہے.
         
مندر مسجد کے جھگڈو میں دلتوں پچھڈو میں اگڈو میں
بھر پائے کوئی زہر نہیں نہ ٹوٹے کوئی قہر کہیں یہ ملک ہمارا سب کا ہے بابا کا نہیں کسی کا ہے
بھگوا پرچم
یہ بھگوا پرچم کس کا ہے جھنڈے میں ڈڈا کس کا ہے پرچم تو اپنا لگتا ہے نہ جانے ڈڈا کس کا ہے یہ جھڈا لے کر کون چلا یہ خاکی نےكر کون بلا یہ کالی ٹوپی کیسی ہے ملکی تو نہیں غیر ملکی ہے ان کو جانو شناخت تم ان کا رنگ ڈھنگ ہٹلر کا ہے
یہ پرچم لئے كه جاتے هرهر بمبمكيو چلاتے لگتے فوجی ٹكڈي سے ہیں کچھ اٹھلاتے کچھ اتراتے ان کے لاٹھی لہراتے ہی تشدد ہوگی ڈر لگتا ہے
ہم اتنے کیوں ہیں گھبراتے فوجی تو آتے اور جاتے، سمجھا یہ نقلی فوجی ہیں دھندہ ان كھورےجي ہے وہ ان کا ٹولی ہیرو ہے جو آگ لگا کر کھسکا ہے
یہ گڈے اور موالی ہیں كرتوتے ان کی کالی ہیں
ان سے چوکس رہنا ہوگا ڈرنا کیسا لڈنا ہوگا
گر یہ پتھر دل رکھتے ہیں اپنا دل شیر ببر کا ہے.
مندر مسجد کے جھگڈو میں دلتوں پچھڈو میں اگڈو میں
بھر پائے کوئی زہر نہیں نہ ٹوٹے کوئی قہر کہیں یہ ملک ہمارا سب کا ہے بابا کا نہیں کسی کا ہے








Sudhakar Ashawadi Sharma सच्चाई से मुँह क्यों छुपाते हो,
जवाब देंहटाएंमेरठ के अनेक मोहल्लों में अल्पसंख्यक मुफ्त में बिजली ज़लाते हैं,
टैक्स के आंकड़े निकलवा लीजिए कि अल्पसंख्यक कितना टैक्स
देते हैं, या सारी कमियां हिन्दुओं में ही नज़र आती हैं, क्या तुम भी
राजनेताओं की तरह तलवेचाटु नीतियों पर अमल करने लगे ?
10 hours ago · Like · 1
Sudhakar Ashawadi Sharma मज़हबी आरक्षण की सोच
जनमानस की नहीं, उनकी है जो समाज को बांटते हैं, कभी उस
मज़हब के बारे में आपने ऐसी बाते लिखी है जो अपने कट्टरपन
में भारतीय कानून को नहीं मानता .समान नागरिक संहिता से
जिसे परहेज़ है ?
9 hours ago · Like · 1
Amarnath Madhur आपका आना और बतियाना अच्छा लगता|
8 hours ago · Like
Amarnath Madhur मैं कुछ नहीं लिखना चाहता था लेकिन आज पूर्व मंत्री जी का जो वक्तव्य सुना तो रहा नहीं गया |सिर्फ उनका वक्तव्य सुनेऔर जबाब देंकि आप उसका समर्थन करते हैं ?
8 hours ago · Like
Sitwat Ahmed Sudhakar Ashawadi Sharma ji ki bijli wali baat theek hai, lekin is chori mein vibhaagiya saajhedari bhi hai. Tax ki chori zyadatar log karte hain unme muslims bhi shaamil hain. Bahut se muslims asal mein itna kamaate hi nahi ki wo tax de,. Saman Nagrik Sanhita ke baare me main chahunga ki Muslims asal mein ise jaan le aur Hindu bhai samajh le ki kuvh religious rules ho sakte hain jiski wajah se agar hum bina kisi ko chot pahunchaye kuch na maane to uspar zyada apatti na karen.
Reh gayi baat talwachaatne ki to pls bhasha parliamentarian rakhen, aur main nahi samajhta ki koi popular muslim is layaq hai ki koi uske talve chaate. Aur agar hamari pitai ho rahi hai to isme kaafi haath hamari jahiliyat ka bhi hai.
7 hours ago · Like
Amarnath Madhur एक फैक्ट्री वाला इतनी बिजली चोरी करता है जितना पूरा गाँव मिलकर भी नहीं करता| इसमें बिजली विभाग के बड़े अफसर भी शामिल हैं |भूखे का रोटी चुराना अपराध नहीं जमाखोरों का लोगों को भूखा मारना अपराध है |सरकार की जिम्मेदारी है की वह लोगों को मुफ्त रोशनी दे | लोगों के घरों की रोशनी और हवा भी ऊँची कोठियों ने कैद कर ली है |
7 hours ago · Like
Mohammed Anas @सुधाकर अवस्थी
परनाम,
सामान्य ज्ञान अल्प है बाकी सब ठीक है आपका,ठीक है आपका क्रोध,आपकी नफरत ,आपकी संकीर्त,आपका वैमनष्य ,आपकी कटुता..
और गलत कहते हैं आप,जिस हत्या करने की सजा आपको मिलेगी उतनी ही सजा हमे भी मिलेगी..
और बिजली कौन कितनी मात्र में चुराता है,उसका आंकड़ा उठा कर देख लीजिये,बीस करोड़ मुसलमान चाह कर भी अस्सी करोड़ हिन्दुओं की बराबरी नही कर पायेंगे,न तो चोरी में न ही सीना जोरी में..
आगे मैं खुद को आपके स्तर पर गिरना नही चाहता,उसकी वजह है की मुझे आप जैसों की मिटटी पलीद करने में दिलचस्पी नही है...इसकी वजह वक़्त की कमी भी हो सकती है..
अपना ख्याल रखियेगा (यह टिपण्णी सिर्फ सुधाकर भाई के लिए है,कोई अन्य इसे अन्यथा न ले,बस इनकी आँख खोलनी थी इसलिए थोडा कठोर हो गया मैं)
7 hours ago · Like
Mohammed Anas @सुधाकर अवस्थी,समाज को बांटने वाले ही जनमानस का निर्माण करते हैं,और आपके जैसे ही हैं जो मजहबी आरक्षण के उत्तरदायी है,यदि आपको बिजली चोरी सबके घरों में दिखती तो आप सही मायनो में देशभक्त कहलाते पर आपको बिजली चोरी से लेकर कानून नही मानने वालों की गिनती प्रत्येक वर्ग में करनी थी,भारत के जेलों में बंद लोगों पर रिसर्च करिए,उनकी संख्या गिनिये,घोटालों में फसने वाले लोग,बलात्कार करने वाले लोग...उठाइए कल का अखबार और देखिये समाचार....जिस कौम पर आप इल्जाम लगा रहे हैं उनकी संख्या अपराध में न की बराबर होगी ..
आँखे खोलिए,बांटने से नही बल्कि जोड़ने से काम चलेगा
7 hours ago · Like
Sudhakar Ashawadi Sharma आम आदमी की बाते करना
अच्छा लगता है, किन्तु जब धर्म का संकीर्ण नजरिया कट्टरपंथी हो
जाय तो क्या करें ,कौन नहीं जानता की चुनाव में टिकट जातीय और
धर्मगत समीकरण से ही दिए जाते हैं फिर यदि बेनी प्रसाद और सलमान
खुर्शीद वोट बैंक की राजनीति कर सकते हैं तो दूसरो को कैसे रोका जा
सकता है ? मेरा भी मंशा किसी को आहत करने का नहीं था पर तर्क के
लिए सदैव तैयार हूँ
about an hour ago · Like
Sudhakar Ashawadi Sharma Anas bhai ka aankhen kholne ke liye dhanywad ...baaten bahut ki ja sakti hai, bahas achchhi lagti hai magar sarthak ho tab ...star kisi ka bhi jyada ooncha nahi hota , star bato se saaf jhalkta hai ..ki kaun gir rah hai aur kaun uth raha hai ...aage sab samajhdar hain .
about an hour ago
लोगों की बातों में आ बैठा, अबे ! पागल है क्या?
जवाब देंहटाएंख़ुद ही घर अपना जला बैठा, अबे ! पागल है क्या?
इस तरफ भगवा कटारी, उस तरफ खंजर हरा !
तू अमन के गीत गा बैठा, अबे ! पागल है क्या ?
- शेखर 'अस्तित्व'
पहनावा सारा विदेशी,,,, हाल्फ पेंट, शर्ट,,, जूता,,, और काली टोपी, ,,,और कदम ताल भी पूरी विदेशी,,,,,,, फिर कैसे हुए यह राष्ट्रीय स्वयम सेवक ??? जब भारत के सेवक हैं तो वेश भूषा भी भारतीय होनी चाहिए,.....,,,, तब तो मानेंगे की भारत के सेवक हैं!!!, अब तो हम कन्फ्यूज हो जाती हूँ ,,,,, की यह कैसे राष्ट्र के सेवक हैं, जो की हाल्फ पेंट और शर्ट में सेवा करते हैं, क्या यह अपने देश की वेश भूषा पहनने से भी शर्माते हैं.
जवाब देंहटाएंअरुणा अहमदी
सच में ये इस्लाम ही था जिसने यहाँ पर सिर्फ आर एस एस को ही अपना निशाना बनाया कमीनो किसी इस्लामिक संगठन के बारे में कुछ नहीं लिखा इससे साफ़ जाहिर होता है जिसने भी ये सब लिखा वो हिन्दू और हिंदुत्व का विरोधी है लेकिन कुछ सेक्युलर हैं जो तेरी बातों का समर्थन कर रहे हैं तू और तेरा इस्लाम उनको एक दिन मार डालोगे तब मरते समय उन्हें अपनी गलती का एहसास होगा की मुल्ले तो मुल्ले ही होते हैं जो अपने बाप के भाई के नहीं होते जो अपनी माँ के बहिन के नहीं होते वो इन सेक्युलरों के क्या होंगे इस्लाम का इतिहास देख लो सभी ने अपने भाई बाप को मार कर राज किया है...
जवाब देंहटाएंहर हर महादेव