शनिवार, 14 अप्रैल 2012

व्यथा सुनाने आया हूँ



ना कविता, ना गीत गजल, ना कथा सुनाने आया हूँ ।
मैं दीन दुखी भूखे नंगों की व्यथा सुनाने आया हूँ ।

बचपन से जिनके हाथों में खुरपी और कुदाली है
कंकरीली धरती के संग दम तोड रहा जो हाली है
झूठन पर ही अब भी जिनकी मनती ईद दीपाली है
सत्ता जिन पर बहा रही केवल ऑंसू घडियाली है

उन जिन्दा लाशों को ही मै आज जिलाने आया  हूँ ।
मैं दीन दुखी भूखे नंगों की व्यथा सुनाने आया  हूँ ।

रस्सी पर चढ दिखा रहे जो करतब नये निराले हैं
जिनके हाथ हथेली में बस गॉंठें हैं और छाले हैं
जिनके पैरों में जंजीरे और जुबॉं पर ताले हैं
रहें अंधेंरी कुटिया में महलों में करें उजाले हैं

उनको उनकी ताकत का एहसास कराने आयाहूँ
मैं दीन दुखी भूखे नंगों की व्यथा सुनाने आया हूँ ।

मैं भी गर सो गया दोस्तों उनको कौन जगायेगा
अगर कलम रूक गयी मेरी परिवर्तन कैसे आयेगा
 दिल में दबी हुई चिंगारी शोला कौन बनायेगा
कौन मशाले देगा उनको झण्डा कौन थमायेगा

मैं बेजुबॉं जुबानों  से ही गीत गवाने आया हूँ
मैं दीन दुखी भूखे नंगों की व्यथा सुनाने आया हूँ ।

जब भूख बगावत कर देगी मजदूरे हिन्दुस्तान की
नस्लें खोजे नहीं मिलेंगी, जमाखोर शैतान की
महलों मीनारों पर कब्जा भूखें नंगों का होगा
जरदारों को जगह न होगी मरकर कब्रिस्तान की

इन्कलाब की गुम आवाजें नये तराने लाया हूँ
मैं दीन दुखी भूखे नंगों की व्यथा सुनाने आया हूँ ।
                                                                -ब्रजपाल'ब्रज'



درد سنانے آیا ہوں

نا نظم، نہ گیت گجل، نا افسانے سنانے آیا ہوں.میں دین دکھی بھوکے نگو کی درد سنانے آیا ہوں.
بچپن سے جن کے ہاتھوں میں كھرپي اور كدالي ہےككريلي زمین کے سنگ دم توڑ رہا جو حالی ہےجھوٹھن پر ہی اب بھی جن کی منتي عید ديپالي ہےاقتدار جن پر بہا رہی صرف آنسو گھڈيالي ہے
ان زندہ لاشوں کو ہی مے آج جلانے آیا ہوں.میں دین دکھی بھوکے نگو کی درد سنانے آیا ہوں.
رسی پر چڑھ دکھا رہے جو کرتب نئے نرالے ہیںجن کے ہاتھ ہتھیلی میں بس گٹھے ہیں اور چھالے ہیںجن کے پیروں میں ججيرے اور جب پر تالے ہیںرہیں ادھےري کٹیا میں محلوں میں لوڈ، اتارنا اجالے ہیں
ان کو ان کی طاقت کا احساس کرانے اياهومیں دین دکھی بھوکے نگو کی درد سنانے آیا ہوں.
میں بھی گر سو گیا دوستوں ان کو کون جگايےگااگر قلم رک گئی میری تبدیلی کیسے آئے گا
 
دل میں دبی ہوئی چنگاری شعلہ کون بنايےگاکون مشالے دے گا ان کو پرچم کون تھمايےگا
میں بےجب جبانو سے ہی گیت گوانے آیا ہوںمیں دین دکھی بھوکے نگو کی درد سنانے آیا ہوں.
جب بھوک بغاوت کر دے گی مجدورے ہندوستان کینسلے تلاش نہیں ملیں گی، جماكھور شیطان کیمحلوں مینار پر قبضہ بھوكھے نگو کا ہوگاجردارو کو جگہ نہ ہوگی مركر قبرستان کی
انكلاب کی گم آوازیں نئے ترانے لایا ہوںمیں دین دکھی بھوکے نگو کی درد سنانے آیا ہوں.


0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें