मध्य प्रदेश में खंडवा जिला प्रशासन द्वारा गरीबों के आवास पर यह लिखवाया जा रहा है कि 'मैं गरीब हूँ'.जैसे माथे पर लिख दिया जाता है मैं चोर हूँ, मैं जेबकतरा हूँ वैसे ही सरकार ये भी लिखवा रही है आखिर गरीब होना भी तो अपराधी होना ही है |गरीबी खुद के लिए अभिशाप है लेकिन सरकार के लिए किसी अपराध से कम नहीं है | जैसे वह अपराध मिटाती रहती है वैसे ही गरीबी भी मिटाती रहतीहैअब ये
अलग बात है कि न गरीबी मिटती है न अपराध.ये तो दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही जाते हैं.सरकार करे तो क्या करे ? अपराध नहीं मिटा सकती ,गरीबी नहीं मिटा सकती तो क्या है अपराधी तो मिटाए जा सकते हैं? गरीब तो मिटाए जा सकते हैं? सो सरकार लगी हुयी पूरी मुस्तैदी से मिटाने में और क्या चाहिए ? अब मिटाने के लिए तो पुख्ता पहचान जरूरी है न ? इसलिए सरकार पुख्ता पहचान कर रही है.उन्हें चिह्नित किया जा रहा है ताकि मिटाने का काम सहूलियत से किया जा सके| अगर विश्वाश नहीं है तो झारखंड देखो, उड़ीसा देखो, छत्तीसगढ़ देखोये काम जोर शोर से चालु है, गुजरात सरकार तो रोज रोज का झंझट ही नहीं पालती एक झटके में साफ़ कर देती है. गरीब हटे तो विकास हो ? छोडी सड़के, बड़े मॉल| बड़ी बड़ी कारें बड़े बड़े लोगों को लेकर तभी सुरक्षित और तेज रप्तार से दौड़ सकती हैं जब इन घिघयातेभिनाते गरीब लोगों की जमात न हो. ये हैं तो भारत कदापि विकसित देशों की बराबरी में नहीं बैठ सकता है|भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है भारत को महाशक्ति बनाना है तो थोड़ी कुर्बानी देनी होगी थोडा बलिदान देना ही होगा और ये कुर्बानी ये बलिदान विदां देने का काम तो गरीब आदमी का है सदियों से वो देता य है सो देगा |अमीर आदमी को वैसे ही सैकड़ों काम होते है. |जो सिंहासन पर बैठ जाए उसके तलुवेचाटने होते हैं हरेक को नोट बांटने होते है और इससे ज्यादा वो क्या करे?क्या गरीब लोग इतना भी नहीं कर सकते कि वो अपनी झोंपड़ी और जान हमें सोंप दें? क्या उन्हें नहीं सोंपना चाहिए ? अगर वो नहीं सोंपेंगें तो क्या सरकार चुप बैठी रहेगी.सरकार को विकास करना है सरकार को भारत को गौरवशाली राष्ट्र बनाना है. सरकार यह करके रहेगी. जय भारत जय हिन्दूराष्ट्र . वंदें मातरम वंदें मातरम.
میں غریب ہوں
مدھیہ پردیش میں کھنڈوا ضلع انتظامیہ کی طرف سے غریبوں کے گھر پر یہ لکھوایا جا رہا ہے کہ 'میں غریب ہوں'
جیسے ماتھے پر لکھ دیا جاتا ہے میں چور ہوں، میں جےبكترا ہوں ویسے ہی حکومت یہ بھی لكھوا رہی ہے
آخر غریب ہونا بھی تو مجرم ہونا ہی ہے | غریبی خود کے لئے لعنت ہے لیکن حکومت کے لئے
کسی جرم سے کم نہیں ہے | جیسے وہ جرم مٹاتي رہتی ہے ویسے ہی غربت بھی مٹاتي رهتيهےب
یہ الگ بات ہے کہ نہ غربت مٹتی ہے نہ جرم. یہ تودن دوني رات چوگني بڑھتی ہی جاتے ہیں.
حکومت کرے تو کیا کرے؟ جرم نہیں مٹا سکتی، غربت نہیں مٹا سکتی تو کیا ہے مجرم تو
ختم کیا جا سکتا ہے؟ غریب تو ختم کیا جا سکتا ہے؟ سو حکومت لگی ہوئی پوری مستعدی سے مٹانے میں
اور کیا چاہئے؟ اب مٹانے کے لئے تو پختہ شناخت ضروری ہے نہ؟ اس لئے حکومت پختہ شناخت
کر رہی ہے. انہیں نشان کیا جا رہا ہے تاکہ مٹانے کا کام سہولت سے کیا جا سکے | اگر وشواش
نہیں ہے تو جھارکھنڈ دیکھو، اڑیسہ دیکھو، چھتیس گڑھ دےكھويے کام زور شور سے چال ہے.، گجرات حکومت تو
روجروج کا جھنجھٹ ہی نہیں پالتي ایک جھٹکے میں صاف کر دیتی ہے. غریب ہٹے تو ترقی ہو؟ چھوڈي
سڑكے، بڑے مال | بڑی بڑی کاریں بڑے بڑے لوگوں کو لے کر اسی وقت محفوظ اور تیز رپتار سے دوڑ سکتی ہیں جب
ان گھگھياتے بھي بھناتے غریب لوگوں کی جماعت نہ ہو. یہ ہیں تو بھارت ہرگز ترقی یافتہ ممالک کی برابری میں
نہیں بیٹھ سکتا ہے | بھارت کو ترقی یافتہ ملک بنانا ہے بھارت کو سپر پاور بنانا ہے تو تھوڑی قربانی دینی
ہی ہوگی تھوڑا قربانی دینا ہی ہوگا اور یہ قربانی یہ قربانی ودا دینے کا کام تو غریب آدمی کا
ہے. صدیوں سے وہ دےتاي ہے سو دے گا | امیر آدمی کو ویسے ہی سینکڑوں کام ہوتے ہیں. | جو تخت پر
بیٹھ جائے اس کے تلوے چاٹنے ہوتے ہیں، ہر ایک کو نوٹ تقسیم کرنے ہوتے ہیں اور اس سے مزید وہ کیا کرے؟
کیا غریب لوگ اتنا بھی نہیں کر سکتے کہ وہ اپنی جھوپڑي اور جان ہمیں سوپ دیں؟ كيانهے
نہیں سوپنا چاہئے؟ اگر وہ نہیں سوپےگے تو کیا حکومت خاموش بیٹھی رہے گی. حکومت کو ترقی کرنا
ہے حکومت کو بھارت کو گوروشالي متحدہ بنانا ہے. حکومت یہ کر کے رہے گی. جے بھارت جے ہندو
متحدہ. ودے ماترم ودے ماترم.

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