बुधवार, 15 अगस्त 2012

ये झण्डा हमारा, तिरंगा हमारा








सभी का दुलारा सभी का है प्यारा, 
ये झण्डा हमारा, तिरंगा हमारा।

तिरंगें के तीनों रंगों की  कहानी, 
सुनाते हैं दादा, बताती है नानी।
ये केसरिया रंग है शहीदों का बाना, 
मुनी,ज्ञानी,ध्यानी ने इसको ही माना। 


धवल रंग अमन का है पैगाम देता,
इसी से है भारत बिना गुट का नेता। 
इसी से है सम्मान दुनिया में अपना
अमन का यही रंग हमें सबसे प्यारा ।।

हरा रंग हमारी है धरती का ऑंचल,
ये लहराती फसलों,बहारो का हर पल,
संदेशा है देता खुशी का प्रणेता 
हमारा वतन हमको क्या क्या न देता।
वतन के लिये तुम सुनो देशवालों, 
इसे ध्यान रखकर है खुद को संभालो। 
अगर ये बचेगा तो तुम भी बचोगे
सरसब्ज होगा वतन इससे सारा ।।

जो चौबीस अराओं का है चक्र नीला,
नहीं होने देगा कभी हमको ढीला। 
ये कहता सजग रह ओ प्रहरी वतन के 
सजग रहती जैसे घडी चौबीस घण्टे।

तू ऐसे चला चल न आराम करना, 
वतन के लिये ही है जीना औ मरना। 
समय चक्र है ये जो चलता रहेगा
बने साक्षी हैं धरा, चॉंद, तारा ।

जडें अपनी गहरी गडाये खडा है, 
पहाडों के ऊँचे  शिखर पर चढा है।
समन्दर की लहारों से लडता,झगडता, 
ध्रुवों पर गया है जहाजी बडा है।

तिरंगे ने हमको है जीना सिखाया
वतन के लिये प्राण देना सिखाया,
बहुत जल्द देखेगी सारी ही दुनियॉं, 
तिरंगा है आकाश गंगा का तारा।।

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