गुरुवार, 16 अगस्त 2012

अपना हिन्दुस्तान


                 
इस जहान से प्यारा हमको अपना हिन्दुस्तान है    
जन गण मन  में बसा हुआ है हम सबका यह प्राण है

पर्वतराज हिमालय उत्तर की सीमा का रखवाला
दक्षिण में चरणों को चूमें सागर प्यारा मतवाला
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई हर भाई की शान है

सरहद पर सर कटवाने से कभी नहीं हम डरते हैं
हम भरत के वीर धीर अरि पर भारी ही पडते हैं 
अपनी भारत माता पर यह तन मन धन कुर्बान है

गंगा, यमुना, ब्रहमपुत्र, कावेरी, रावी, गोमती
सतलुज, सरयू, जेलम, गोदावरी जहॉं पर डोलती
सिंचित करती वन उपवन को नदियॉं सुख की खान है

मन्दिर मस्जिद गिरिजाघर गुरूद्वारे का यह देश है
मानव मानवता को पूजे उपजे नहीं क्लेश है
ताजमहल भी  एक अजूबा  क्या ही आलीशान है

होकर हम सब एक सदा इस बगिया को महकायेंगे
अगर बटे हम जाति धर्म में फिर पीछे पछतायेंगे
रहें सभी मिलकर 'प्रशान्त' का बस इतना अरमान है
जन गण मन में बसा हुआ है हम सब का यह प्राण है
- प्रशान्त कुमार दीक्षित 'प्रशान्त'
 
اپنا ہندوستان
                  پیسیفک کمار دکشت پیسفک

اس جہان سے پیارا ہم کو اپنا ہندوستان ہے
جن گن ےک امے بسا ہوا ہے ہم سب کا یہ جان ہے

پروتراج ہمالیہ جواب کی حد کا ركھوالا
جنوبی میں اقدامات کو چومے سمندر پیارا متوالا
ہندو مسلم سکھ عیسائی ہر بھائی کی شان ہے

سرحد پر سر کٹوانے سے کبھی نہیں ہم ڈرتے ہیں
ہم بھرت کے ویر دھير ار پر بھاری ہی ہوتے ہیں
اپنی بھارت ماتا پر یہ تن من دھن قربان ہے

گنگا، جمنا، برهمپتر، كاوےري، راوی، گومتی
ستلج، سريو، جےلم، گوداوري جہاں پر ڈولتي
سچت کرتی ون اپون کو ندي سکھ کی خان ہے

مندر مسجد گرجاگھر گرودوارے کا یہ ملک ہے
انسانی انسانیت کو پوجے پیدا ہوئے نہیں تکلیف ہے
تاج محل بھی ایک اجوبا کیا ہی عالیشان ہے

ہو کر ہم سب ایک سدا اس بگيا کو مهكايےگے
اگر بٹے ہم ذات مذہب میں پھر پیچھے پچھتايےگے
رہیں تمام مل کر پیسیفک کا بس اتنا ارمان ہے
جن گن من میں بسا ہوا ہے ہم سب کا یہ جان ہے

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