मसलहत आमेज़ होते हैं सियासत के कदम
तू ना समझेगा सियासत,तू अभी इंसान है .
माफीनामों का मौसम है.जो कभी के धींग थे वो कभी के दबे कुचलों से माफी मांग रहें हैं| जो अभी के धींग हैं वो अभी नाक रगड़वाकर माफी मंगवा रहें हैं .समझदार कारोबारी लोग अपने फायदा देख कर माफी मांग रहें हैं| वो खामखा में नाक को ऊँचा रखकर नाक को झंगवा के क्या लेंगें? उन्हें अपनी दुकान देखनी है, अगले की जेब देखनी है. जेब से भी ज्यादा जरूरी उनके हाथ देखने हैं. वो हाथ अगर लम्बें हैं या सहस्त्रबाहु हैं तो फिर उन्हें अपने खिलाफ करके कैसे कोई अपना हाथ बचा के रह सकता है? इसलिए सहस्त्रबाहु से हाथ मिलाना बहुत जरूरी है, भले ही राक्षस के हाथ किसी के खून में रंगें हों .खून का रंग लाल जरूर है लेकिन अब यह प्रमाणित हो गया है कि इसके होने में भगवा रंग का कोई हाथ नहीं है।
रामलुभाया बोला -फिर तो दंगों और दंगाईयों को किसी मजहब से जोडकर नहीं देखना चाहिये?
रामभूल ने कहा -हॉं यही तो हम कहते रहे हैं और अब सरकार ने भी मान लिया है कि भगवा आतंकवाद या हिन्दू आतंकवाद कहना गलत है।
रामलुभाया बोला-लेकिन तुम यही बात इस्लामी आतंकवाद या जेहादी आतंकवाद के लिये क्यॅंू नहीं मान लेते हो? ऐसा कहना भी तो गलत है।
रामभूल मुस्कराते हुये बोला -यार तुम समझते क्यूॅ नहीं हो। वो तो जन्मजात आतंकवादी हैं। और ये इस्लामी आतंकवाद नाम हमने थोडे ही दिया है। अमेरिका ने दिया है और सारी दुनिया जानती है कि इस्लाम आतंकवाद की नर्सरी है। अब अगर हमने इस्लामी आतंकवाद कह दिया तो क्या गलत कह दिया?
रामलुभाया बोला - इसका ये मतलब हुआ कि अमेरिका जो कह देगा वो सही होगा और उसे ही तुम मानोगे?
रामभूल बोला- हॉं इसमें गलत क्या है ? सारी दुनियॉं नहीं मानती है?
रामलुभाया बोला-अच्छा जी ये बात है। लेकिन अमेरिका ने तो नरेन्द्र मोदी को अल्पसंख्यको का हत्यारा कहा है और उसे वीजा देने पर रोक लगा रखी है| क्या अमेरिका की इस बात को भी तुम सही मानते हो?
रामभूल बोला- ऐसी बात करना देशद्रोह है।तुम सुबह को शाखा में आना । वहॉं हमारे प्रचारक जी तुम्हें बतायेंगें कि अमेरिका भी एक दिन ब्रिटेन की तरह हमसे माफी मॉंगता दिखायी देगा, बस मोदी जी के प्रधान मंत्री बनने की देर है।
रामलुभाया को लगा कि वो जरूर कुछ गलत है| मोदी तो बस प्रधानमंत्री बनने ही वाला है.वह दिन में ही सपना देखने लगा .उसने देखा - अमेरिका के राष्ट्रपति मोदी के साथ प्रेस वार्ता कर रहें हैं | हमें मोदी जी को पहचाने में भारी भूल हुयी है| हम ने उनसे माफ़ी मांग ली है| हम चाहते हैं मोदी जी ने जैसे गुजरात में भययुक्त विकास किया है वे पूरी दुनिया में ऐसा ही विकास करने में हमारा साथ दें.
हुजूर की खिदमत में एक ताजातरीन गजल पेश है मुलाहिजा फरमाईये -
माफ़ीनामों का मौसम है, मैं भी मांगू तू भी माँग
मैं भी पव्वा पी लेता हूँ तू भी खा ले थोड़ी भांग .
जब तक झूठ चलेगा अपना तब तक डटकर बोलेंगे
जब तक झूठ चलेगा अपना तब तक डटकर बोलेंगे
एक दिन तो गिर ही जानी है झूठ की पोली ऊँची डांग.
जो सोता है जग भी जाए जागने वाला क्या जागे
चाहे मुर्गा खूब लगाये, रोज सवेरे ऊँची बाँग .
जान गयी दस बीस यहाँ दो चार धमाके होने से
ये तो होता ही रहता है टांग पे रखकर बैठो टाँग .
अपना माल खरा चोखा है,मोहर आई एस आई की
उसकी बातों पर मत जाना उसकी बातें बिलकुल राँग.
अपने जर्जर मापदंड से मापों मत गहराई को
मैं गायक हूँ गाता ही रहता हूँ मानवता के सॉंग.


पूरा देश आजादी से अब तक भययुक्त ही है। मुक्त होगा भी नहीं।
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