सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

आधी बात


आधी बात कहेंगे उनसे, आधी बात छुपाना है
आधा आधा रह जाना है, आधा उठकर जाना है

इस आधे आधे जीवन में आधी आधी मौत मिली
आधा ही बस पता है उसको, आधा उसे बताना है

आधी हवा चली थी, मेरी खिड़की आधी खोल गई
लेट गया आधे बिस्तर पे चांद से कुछ बतियाना है

हंसना आधा, रोना आधा, आधा जंगल, आधा घर
आधा ही पढ़ के आए थे दिल का जो अफ़साना है


हम जो यूं रूठे बैठे हैं उनसे एक ज़माने से
आधा ख़ुद को समझा लेंगे, आधा उन्हें मनाना है

आओ आधी रात के जादू, आओ आधी सर्द हवा
आधा तन वह फूंक गया था, आधा इसे जलाना है


                             -ध्रुव गुप्ता 

1 टिप्पणी: