सोमवार, 15 अप्रैल 2013

चिकनी सड़कें


ताजा समाचार :'उत्तर प्रदेश के मंत्री  हेमामालिनी और माधुरी दीक्षित के गालों से अपने इलाके की सड़कों की तुलना करने के कारण बर्खास्त'
     ये लो जनाब अब फिसल गए न, सड़कें इतनी चिकनी भी नहीं होनी चाहियें कि  जुबान फिसलते ही कुर्सी से भी फिसल जाएँ .वैसे देखा जाए तो सड़के चिकनी होने के कई व्यवहारिक नुकसान हैं .रास्तें में कोई बाईक पर सवार बदमाश लूटकर  भाग निकले या कोई किसी का अपहरण करके ले भागे तो आप भले ही जल्द से जल्द थाने पहुँच जायें लेकिन पुलिस तो अपने तरीके से पहुंचेगी .पहले शिकायत  सुनी अनसुनी करेगी ज्यादा जोर देंगें इधर उधर का रोब दिखाएँगे तो  असंगत धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करेगी फिर झाड पोंछ कर अपने डंडें, बंदूकें संभालेगी .धक्के मार-मार कर खटारा जीप स्टार्ट करेगी .और आपने तेल भरवा दिया तो घुर्र गुर्र करती हुई बदमाशों को ढूंडने  चल पड़ेगी .इतनी देर में बदमाश कहीं के कहीं पहुँच चुके होंगें.
          एक नुक्सान और है .हमारे यहाँ कि मुख्य सड़क दशकों बाद चौड़ी होकर बनी थी . लोगों ने कहा देखना अब लोग बहुत मरेंगें. मैंने सोचा अजीब पिछड़ी मानसिकता के लोग हैं .सड़क बनने पर खुश होना चाहिए. इससे कारोबार बढेगा लोगों को नया जीवन मिलेगा लेकिन ये हैं कि मौत कि भविष्यवाणी कर रहें हैं . लेकिन कुछ ही दिनों में हप्तें में तीन तीन चार चार एक्सीडेंट  में मौत की खबर आने लगी . कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है .एक दिन मैं स्वंय एक मित्र  की मोटर साईकिल पर पीछे बैठकर जा रहा था तो तब समझ में आया कि लोग क्यूँ सड़क पर मर रहें हैं . मेरे साथी ने बताया कि अब इस सड़क पर मोटर साईकिल चलाने में मजा आता है .अस्सी कि रप्तार पर भी चलाओ तो ऐसा लगता है जैसे पानी में तैर रहें हों .मैं तुरंत समझ गया जब सामने से भी ऐसा ही तैराक आता होगा तो संभलना मुश्किल हो जाता होगा और भिड जातें होंगें .  सडकों में  गड्ढे थे तो अपने आप ही देखभाल कर चलना पड़ता था .रप्तार कंट्रोल से बाहर होने का तो कोई सवाल ही नहीं था . है न सड़क बढ़िया चिकनी होने के नुकसान .
       सड़क खराब होने का एक फायदा और  भी था .जो बता रहा हूँ वो  बिलकुल हकीकत है .हमारे गाँव   में एक गरीब  औरत  को प्रसव  पीड़ा  हुई लेकिन बेचारी  के बच्चा नहीं हो रहा  था .उसके घरवाले उसे शहर में नर्सिंग होम ले आये .डॉक्टर ने बताया की बच्चा फंस गया है बड़ा ओपरेशन करना पड़ेगा . ओपरेशन का जो खर्च बताया गया वो गर्भवती महिला के घरवालों को बहुत ज्यादा प्रतीत हुआ .उन्होंने ओपरेशन करने की टाल कर दी.गर्भवती स्त्री को अपनी बुग्गी में लादा और गाँव की ओर चल दिए. गर्भवती औरत की सास ने कहा कि बुग्गी सड़क पर सीधे हांकते चलो गड्डे वड्डे बचाकर चलने की जरूरत नहीं है .
गर्भवती औरत चीखती  चिल्लाती रही और भैंसा  बुग्गी गड्डों में हिचकोले खाती  चलती रही .गाँव पहुँचने से पूर्व गर्भवती औरत के बच्चा हो चुका था .गाँव में जब वह परिवार पहुंचा तो प्रसूता  की  गोद में बच्चा रो रहा था और वह मुस्करा रही थी .
        निष्कर्ष :सडकों में गड्डे रहें तो महिलायें  मुस्करा सकती हैं और अगर वो गालों की तरह चिकनी हो जाएँ तो फिसलकर मरने वाले बेवकूफों को देखकर वे खिलखिला कर हंस सकती हैं .


ہموار سڑکیں
تازہ خبریں: 'اتر پردیش کے وزیر هےمامالني اور مادھوری دکشت کے گالوں سے اپنے علاقے کی سڑکوں کا موازنہ کرنے کی وجہ سے برطرف'
یہ لو جناب اب پھسل گئے نہ سڑکیں اتنی ہموار بھی نہیں ہونی چاہئیں کہ زبان پھسلتے ہی کرسی سے بھی پھسل جائیں. ویسے دیکھا جائے تو سڑکیں تعمیر ہموار ہونے کے کئی عملی نقصان ہیں. راستیں میں کوئی بايك پر سوار بدمعاش لوٹ کر بھاگ نکلے یا کوئی کسی کو اغوا کرکے لے بھاگے تو آپ بھلے ہی جلد سے جلد تھانے پہنچ جائیں لیکن پولیس تو اپنے طریقے سے پہنچے گی. پہلے شکایت سنی ان سنی کرے گی مزید زور دیں گے ادھر ادھر کا رعب دکھائیں تو متضاد دفعات میں رپورٹ درج کرے گی پھر جھاڈ پونچھ کر اپنے ڈڈے، بندوقیں سبھالےگي. دھکے مار - مار کر كھٹارا جیپ سٹارٹ کرے گی. اور آپ نے تیل بھروا دیا تو گھرر گرر کرتی ہوئی بدمعاشوں کو ڈھوڈنے چل پڑے گی. اتنی دیر میں بدمعاش کہیں کے کہیں پہنچ چکے ہوں گے. ایک نقصان اور ہے. ہمارے یہاں کہ مرکزی سڑک دہائیوں بعد چوڑی ہو کر بنی تھی. لوگوں نے کہا دیکھنا اب لوگ بہت مرےگے. میں نے سوچا عجیب پسماندہ ذہنیت کے لوگ ہیں. سڑک بننے پر خوش ہونا چاہئے. اس سے کاروبار بڑھے گا لوگوں کو نئی زندگی ملے گا لیکن یہ ہیں کہ موت کہ پیشن گوئی کر رہے ہیں. لیکن کچھ ہی دنوں میں هپتے میں تین تین چار چار حادثہ میں موت کی خبر آنے لگی. کچھ سمجھ میں نہیں آیا کہ کیا ہو رہا ہے. ایک دن میں خود ایک دوست کی موٹر سائیکل پر پیچھے بیٹھ کر جا رہا تھا تو تب سمجھ میں آیا کہ لوگ کیوں سڑک پر مر رہے ہیں. میرے ساتھی نے بتایا کہ اب اس سڑک پر موٹر سائیکل چلانے میں مزہ آتا ہے. اسی کہ رپتار پر بھی چلاؤ تو ایسا لگتا ہے جیسے پانی میں تیر رہے ہوں. میں فوری طور پر سمجھ گیا جب سامنے سے بھی ایسا ہی تیراک آتا ہوگا تو سنبھلنا مشکل ہو جاتا ہوگا اور بھڈ جاتے ہوں گے. سڑکوں میں گڑھے تھے تو اپنے آپ ہی دیکھ بھال کر چلنا پڑتا تھا. رپتار کنٹرول سے باہر ہونے کا تو کوئی سوال ہی نہیں تھا. ہے نہ سڑک اچھے ہموار ہونے کے نقصان. سڑک خراب ہونے کا ایک فائدہ اور بھی تھا جو بتا رہا ہوں وہ بالکل حقیقت ہے. ہمارے گاؤں میں ایک غریب عورت کو درد زہ کی حالت ہوئی لیکن بے چاری کے بچہ نہیں ہو رہا تھا. اس کے گھر والے اسے شہر میں نرسنگ ہوم لے آئے. ڈاکٹر نے بتایا کی بچہ پھنس گیا ہے بڑا اوپرےشن کرنا پڑے گا. اوپرےشن کا جو خرچ بتایا گیا وہ حاملہ عورت کے گھر والوں کو بہت زیادہ محسوس ہوا. انہوں نے اوپرےشن کرنے کی ٹال کر دی. حاملہ عورت کو اپنی بگگي میں لادا اور گاؤں کی طرف چل دیے. حاملہ عورت کی ساس نے کہا کہ بگگي سڑک پر براہ راست هاكتے چلو گڈڈے وڈے بچا کر چلنے کی ضرورت نہیں ہے.
حاملہ عورت چیختی چلاتی رہی اور بھےسا بگگي گڈڈو میں هچكولے کھاتی چلتی رہی. گاؤں پہنچنے سے قبل حاملہ عورت کے بچہ ہو چکا تھا. گاؤں میں جب وہ خاندان پہنچا تو پرسوتا کی گود میں بچہ رو رہا تھا اور وہ مسکرا رہی تھی.
        نتیجہ: سڑکوں میں گڈڈے رہیں تو خواتین مسکرا سکتی ہیں اور اگر وہ گالوں کی طرح ہموار ہو جائیں تو پھسل مرنے والے احمق کو دیکھ کر وہ كھلكھلا کر ہنس سکتی ہیں.



0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें