शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

मेरे जानिब


बस मेरे जानिब एक नजर का सवाल है
इतनी सी बात पे भी क्यूँ इतना बबाल है.

बेकार ही दीवार खडी कर रहें हैं लोग
जो हाल मेरा है वही उसका भी हाल है .

मैंने तो उसे देखा मोहब्बत की नजर से
ना जाने क्या हुआ जो उसकी आँख लाल है

दानों पे नजर डाल ना उड़ते हुए पंछी
दानों पे शिकारी का बिछा एक जाल है .

कल रास्ते में मैंने उसे बोल दिया था
हाथों के उसका नक्श लिए मेरा गाल है .


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