सोमवार, 30 सितंबर 2013

हम क्या करें ?


साथियों ये कोई गढ़ा गढ़ाया किस्सा नहीं है. ये बात ख़ास लोगों ने बतायी है.यूँ आप इसे किस्सा समझ के भी जान  लेंगे तो फायदें  में रहेंगे.  ये घटना आजकल के एक चर्चित युवा नेता का जीवन चरित्र है.एक दिन शाम के समय उनके घेर [ इसे घर का पुल्लिंग समझ सकते हैं ] में उनके पिताश्री बैठे हुए रस्सी  बट  रहे थे, तभी एक मेहमान पहुँचें और राम राम करने के बाद बोले भाई तुम्हारे यहाँ तो बहुत माहौल खराब है . गाँव के पास ही मुझे लूट लिया.
मेजबान बोलें - ऐं क्या हुआ ? किसने लूट लिया ?
मेहमान ने कहा -पता नहीं दो लडके थे मुझे रोक कर मेरे सब पैसे धेले छीन लिए .
मेजबान बोले -अच्छा यू  बात है अभी छोरे को भेजता हूँ .पता करेगा कौन लोंडे हैं . इतना कहकर उन्होंने अपने लडके को आवाज दी.
 अन्दर कोठे से सत्रह अट्ठारह बरस का एक लड़का निकल के बाहर आया .
मेहमान बोल - एक तो योई  है.
बस इतना सुनते  ही ठाकुर साहब का मिजाज गर्म हो गया .उन्होंने हाथ में पकडे अधबटे रस्से से ही अपने छोरे को मारना शुरू कर दिया .हाथ पाँवों के साथ मुँह से गालियों की बरसात होने लगी-
' बेगैरत तुझे अपने ही मेहमान मिले थे लूटने के लिए.नालायक ऐसे ही खानदान का नाम डुबोयेगा. अभी बाहर निकल घर से .कभी अपना मुँह मत दिखाना.'
 छोरा घर से भगा दिया  गया. इधर उधर धक्के खाने के बाद जनाब को एक पंजाबी के यहाँ नौकरी मिल गयी. लेकिन मेहनत करके किसे खाना  था. आवारगी तो खून में समायी थी. जनाब ने अपने मालिक की इकलौती लड़की पर डोरे डालने शुरू कर दिए. लड़की कुछ ही दिन में उनके  प्रेम जाल में फंस गयी. जनाब कारोबारी आदमी के नजदीक थे तो कुछ कारोबारी  अक्ल भी जाग गयी. जनाब ने अपनी आवारगी को कारोबारी बनाते हुए धीरे धीरे लड़की के साथ साथ लड़की की माँ को भी अपनी गिरप्त में ले लिया . स्थिति ऐसी आ गयी कि उसके पंजाबी मालिक को अपनी पुत्री का विवाह उससे करना पड़ा. कुछ ही दिन बाद मालिक का राम नाम सत्य हो गया और सारी संपत्ति मालकिन के नाम आ गयी. लेकिन शायद बिना मालिक के मालकिन को इस दुनिया में रहना अच्छा नहीं लगा सो कुछ दिनों बाद वे भी परलोकगमन कर गयीं. 
    वैसे कहने वाले ये भी कहते हैं कि मालिक मालकिन की अंतिम यात्रा में जनाब का काफी सहयोग  है लेकिन ऐसे लोगों क्या विश्वाश किया जाए ? लोगों से किसी की खुशियाँ देखी तो जाती नहीं हैं बस ऐसे ही बातें बनाते रहते हैं . उन्हें क्या पता कि अपनी तरक्की के लिए क्या कुछ करना पड़ता है . कोई ऐसे ही थोड़े बड़ा  आदमी बनता है ? 
   तो साहिब बात इतनी  सी है कि घर से भगाये गए आवारा लडके के पास अब एक ख़ूबसूरत बीवी थी और अच्छी खासी दौलत के साथ साथ जमाया कारोबार था . अब वो आराम से एक सफल आदमी का जीवन बिता सकते थे . लेकिन लोगों की सेवा करने का जो जज्बा उन्हें घर से बाहर लाया था वो जब तब जोर मारता ही रहता था .आखिर में अपने जज्बात से मजबूर होकर वे समाज सेवा करने के लिए राजनीति में आ गए. उन्होंने सोचा समाज सेवा करनी है तो समाजवादी होकर करनी चाहिए.वे समाजवादी हो गए .लेकिन जनता को उनकी समाजवादी सेवा रास नहीं आयी. चुनाव में खड़े हुए हार गए. पैदायशी ठाकुर थे,हारकार चुप नहीं बैठ सकते थे.सेवा जो करनी थी. उन्होंने देखा उनकी काबिलियत को राष्ट्रवादी दल ही समझ सकता है. उसमें ऐसे काबिल लोगों की भर्ती हमेशा खुली रहती है जो उनकी तरह  सुबह शाम रात दिन जन सेवा के लिए आतुर रहते हों .उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें चुनावी रण  में उतार दिया गया जहाँ वे कोई उम्मीद न होते हुए भी विजयी हो गए . 
   अब वे अपनी काबिलियत के जौहर दिखाने के अवसर की तलाश में रहते ताकि वे दिखा सकें कि जनसेवा कैसे की जाती है. इसका मौका भी उन्हें जल्दी ही मिल गया.  इधर किसी आवारा लडके ने किसी लड़की को छेड़ा और उधर उन्होंने रणसिंगा बजा दिया .रणसिंगें  कि आवाज और उनकी पुकार सुनते ही लोग हाथों में तलवारें.बंदूकें लेकर आ पहुंचे . फिर लडके के समुदाय ले लोगों को सबक सिखाने के लिए बाकायदा रणनीति बनायी गयी. कबीलाई आगजनी और लूटमार शुरू हो गयी .औरतें और बच्चें चिल्लाते रहे और पगलाए लोग उन्हें मारते, काटते और जलाते रहे.
सैकड़ों लोग मारे गए, सैकड़ों लापता हो गए. बूढ़े बच्चें आग में झुलस गए औरतों की अस्मत लूट ली गयी, फसलें उजाड़ दी गयीं, पशु खूंटे पर बंधें बंधें मर गए लेकिन धर्म युद्ध जारी रहा .अब वे एक धर्म योद्धा  थे जातीय स्वाभिमान के प्रतीक थे. उन्हें ससम्मान गिरप्तार किया गया.कारागार  के द्वार पर उन्हें सलामी दी गयी .आज हालात ये है कि वही आवारा लोंडा जिसे उसके बाप ने घर से भगा दिया था उसके नाम पर उसकी बिरादरी मरने मिटने की कसमें खा रही है और उसके समर्थन  में पंचायतें कर रही है. 
 आज लोग उसकी तरक्की कि मिसालें देकर अपने बेटों को उसके जैसा बनाने के लिए प्रेरित कर रहें हैं कहतें हैं अबे क्या बी टेक.  एम् टेक  करता घूम रहा है फलाने के लोंडे  को देख कैसा काबिल निकला है,  तुम तो ससुरों किसी काम के ही नहीं हो ?
 नौजवान समझ नहीं पा रहें हैं कि हमने क्या गलत किया ? हम तो सदैव माँ  बाप के आज्ञाकारी रहे,मेहनत करके पढाई की, अपनी क्लास की लड़कियों तक को गलत निगाह से नहीं देखा, पास भी अच्छे नंबर  से हुए हैं और हम क्या करें ?
 मैं उनके सवाल का जबाब नहीं दे पा रहा हूँ . क्या आप उन्हें समझा सकते हैं ?
  
               
   

   

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