सोमवार, 23 सितंबर 2013

कुटबी गाँव(मुजफ्फरनगर ) की पंचायत


बलदार सिंह:
"अगर तुम जिंदा उतरोगे इस गाँव में से तो हमारी लाशों पर से उतरोगे. हम लेट रहे हैं तुम हमारे ऊपर से ट्रक लेकर उतर जाओ. पूरा भाईचारा नू का नू ही रहेगा. हमे पता नहीं था कि ऐसा होगा. हम धोखे में थे. जो हो गया सो हो गया."
"मैं पूरे कुटबी गाँव से सलाह करके आप भाइयों से ये प्रार्थना करता हूँ कि हम आपके साथ रहेंगे और आपकी पूरी हिफ़ाज़त करेंगे. पूरा गाँव आपकी हिफ़ाज़त करेगा और आगे कभी भी कुछ भी नहीं होगा. हम आपको गाँव से जाने नहीं देंगे. अगर आप जाएंगे तो हम भी तुम्हारे साथ ही जाएँगे."
(बलदार सिंह ने मुसलमानों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा)
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हाफ़िज़ यूनुस:
'' "आप लोगों से गलती हुई या हमसे गलती हुई. मैं सभी मुसलमानों की ओर से माफ़ी चाहता हूँ. आपने कहा है कि हम एक दूसरे के हमदर्द रहकर जिंदगी गुजारेंगे. लेकिन अब हम गाँव छोड़ गए हैं और दूसरे लोगों की ज़िम्मेदारी में रहते हैं. गाँव में रहने का फ़ैसला करने में हमें उन लोगों की भी राय लेनी है."
"अगर आप ये कहते हैं कि हम अपना सामान नहीं ले जा सकते, तो हम नहीं ले जाएंगे. क्योंकि यह गाँव की बात है और गाँव से बड़ा कुछ नहीं है. लेकिन हमारे बच्चे डरे हुए हैं. हम भी डरे हुए हैं. पहले हम रात में बेख़ौफ़ अपने गाँव में आते थे लेकिन अब आलम यह है कि हम दिन में भी गाँव आने के बारे में नहीं सोच सकते."
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(कुटबी गाँव की पंचायत ने तय किया कि मुसलमानों के नुकसान की भरपाई गाँव ही करेगा. चौधरी बलदार सिंह ने घोषणा कर दी कि मुसलमानों का सामान उतारकर उनके घरों में वापस रख दिया जाए. लोगों ने सामान वापस उतारकर रख भी दिया.)
बलदार सिंह:
"अगर तुम जिंदा उतरोगे इस गाँव में से तो हमारी लाशों पर से उतरोगे. हम लेट रहे हैं तुम हमारे ऊपर से ट्रक लेकर उतर जाओ. पूरा भाईचारा नू का नू ही रहेगा. हमे पता नहीं था कि ऐसा होगा. हम धोखे में थे. जो हो गया सो हो गया."
"मैं पूरे कुटबी गाँव से सलाह करके आप भाइयों से ये प्रार्थना करता हूँ कि हम आपके साथ रहेंगे और आपकी पूरी हिफ़ाज़त करेंगे. पूरा गाँव आपकी हिफ़ाज़त करेगा और आगे कभी भी कुछ भी नहीं होगा. हम आपको गाँव से जाने नहीं देंगे. अगर आप जाएंगे तो हम भी तुम्हारे साथ ही जाएँगे."
(बलदार सिंह ने मुसलमानों से भावनात्मक अपील करते हुए कहा)
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हाफ़िज़ यूनुस:
'' "आप लोगों से गलती हुई या हमसे गलती हुई. मैं सभी मुसलमानों की ओर से माफ़ी चाहता हूँ. आपने कहा है कि हम एक दूसरे के हमदर्द रहकर जिंदगी गुजारेंगे. लेकिन अब हम गाँव छोड़ गए हैं और दूसरे लोगों की ज़िम्मेदारी में रहते हैं. गाँव में रहने का फ़ैसला करने में हमें उन लोगों की भी राय लेनी है."
"अगर आप ये कहते हैं कि हम अपना सामान नहीं ले जा सकते, तो हम नहीं ले जाएंगे. क्योंकि यह गाँव की बात है और गाँव से बड़ा कुछ नहीं है. लेकिन हमारे बच्चे डरे हुए हैं. हम भी डरे हुए हैं. पहले हम रात में बेख़ौफ़ अपने गाँव में आते थे लेकिन अब आलम यह है कि हम दिन में भी गाँव आने के बारे में नहीं सोच सकते."
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(कुटबी गाँव की पंचायत ने तय किया कि मुसलमानों के नुकसान की भरपाई गाँव ही करेगा. चौधरी बलदार सिंह ने घोषणा कर दी कि मुसलमानों का सामान उतारकर उनके घरों में वापस रख दिया जाए. लोगों ने सामान वापस उतारकर रख भी दिया)
--- Mohseen Ahmad shared आशीष कुमार 'अंशु''s photo.

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