मंगलवार, 12 अगस्त 2014

राष्ट्रीयता के खतरे -- हिमांशु कुमार

राष्ट्रीयता के खतरे -- हिमांशु   कुमार  

अगर आप अगर अपनी ज़ात मानने से मना कर दें तो आपको जेल में नहीं डाला जाएगा
अगर आप अपना मज़हब मानने से इनकार कर दें तो आपको जेल में नहीं डाला जायेगा
लेकिन अगर आप ने अपने राष्ट्र को मानने से मना किया तो आपको जेल में डाल दिया जाएगा .
ज़ात और साम्प्रदायिकता से भी ज़्यादा कट्टर है राष्ट्रीयता .
राष्ट्र के नाम पर सेना है बंदूकें हैं
ये बंदूकें अमीरों के फायदे के लिए और गरीबों के खिलाफ रोज़ इतेमाल होती हैं
रोज़ गरीबों की ज़मीने छीन कर अमीरों को दी जाती हैं
बंदूक चलाने का हुकुम देने वाली सरकारें इन्हीं अमीरों की गुलाम होती हैं
राष्ट्र असल में गरीबों को लूटने के लिए बनाया गया एक तन्त्र है .
वरना सारी दुनिया के मेहनत कश गरीबों को सरकार की कोई ज़रूरत ही नहीं है
लेकिन अगर सरकार न हो तो अम्बानी टाटा या दुनिया का कोई भी पूंजीपति अमीर नहीं बन सकता था .
इसलिए आपकी सरकार और अमीरों के लिए चलने वाले आपके स्कूल कालेज आपके बच्चों के दिमाग में

रोज़ राष्ट्र भक्ति की ज़हरीली घुट्टी पिलाते हैं .
आप किसी भी स्कूल में जाकर पूछ लीजिए दुनिया का सबसे अच्छा देश कौन सा है ?

बच्चे बोलेंगे भारत
आप बच्चों से अगला सवाल पूछिए कि बताओ दुनिया का सबसे खराब मुल्क कौन सा है ?बच्चे कहेंगे

पाकिस्तान
और अगर आप यही सवाल पाकिस्तान में जाकर पूछें तो आपको ठीक इसी तरह के जवाब मिलेंगे .
वहाँ पाकिस्तान को सबसे अच्छा और भारत को सबसे गंदा मुल्क बताया जाएगा
आप यह सवाल दुनिया के किसी भी देश के स्कूल में पूछिए
वो अपने पड़ोसी देश को सबसे बुरा देश कहेंगे
ये राष्ट्रवाद पूंजीपतियों के शोषण का औज़ार है .
हर बात पर सवाल उठाइये .
आपको अलग जवाब मिलेंगे .
आपकी यह सभ्यता असल में बहुत असभ्य है .

                --------- हिमांशु   कुमार

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