मंगलवार, 26 अगस्त 2014

मेरठ में बच्चा जेल में हंगामा

'मेरा नाम माइकल है गोली खाने को तैयार हूं..एसपी सिटी - 'चलाओ गोली..हमारी छाती पुलिस की गोली खाने को तैयार है.'

मेरठ की बच्चा जेल में बंद किशोर कैदियों ने पुलिस और प्रशासन से मोर्चा बाँधा हुआ है . सरकारी तंत्र के उत्पीड़न की गाथा सब जानते हैं लेकिन यह उत्पीड़न किशोर कैदियों के साथ अमानवीयता की सारे हदें पार कर जाता है. उनके साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को लिखने बैठें तो उसका कोई ओर छोर नहीं मिलेगा. लेकिन इस बार पुलिस व प्रशासन के साथ साथ मीडिया भी बच्चों को खूंखार अपराधी सिद्ध करने के लिए मुस्तैद दिखाई देता है. रोज एकतरफा खबरे और फोटो छापे जा रहें हैं जो ये साबित करते हैं कि सारा कसूर इन शैतान लड़कों का है जो जेल में भूखें प्यासे रखकर पीटें जाने के बाद भी चुप होने को तैयार नहीं है. ख़ास राज नेताओं के असर में मीडिया पहले से ही था लेकिन बच्चों के विरुद्ध भी वो इतनी निर्दयता दिखायेगा ये तो कभी सोचा ही न था .
बच्चे क्या बड़े भी जो जेलों में बंद हैं उनमें से ज्यादातर या तो व्यवस्था के सतायें हैं या मामूली कारणों से जेल में बंद हैं.उनके जेल में बंद रहने का बड़ा कारण उनका गरीब और निरपराध होना है .सामर्थ्यवान अपराधी तो कभी जेल जाता ही नहीं है .अगर जाता भी है तो वो जेल को सैरगाह समझता है क्यूंकि सारा प्रशासन उसकी देखभाल में रहता है .लेकिन ये बच्चें जो समाज का भविष्य हैं जो देश के नौनिहाल हैं उन्हें सरकार अपराधी बना रही है .सरकार की जिम्मेदारी है कि वो देश के बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुरूप विकास का अवसर दे न कि उन्हें अपराध के गर्त में धकेल दे .
माइकल है मेरा नाम
संप्रेक्षण गृह की छत से किशोरों ने पुलिस को देखकर कपड़े उतार दिए थे. बोले-'मेरा नाम माइकल है गोली खाने को तैयार हूं..एसपी सिटी - 'चलाओ गोली..हमारी छाती पुलिस की गोली खाने को तैयार है.'
मेरठ: सिलेंडर से खुद भी मरेंगे और सबको मार देंगे. शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी बंदी किशोरों का बाल संप्रेक्षण गृह पर कब्जा रहा. सिलेंडर हाथों में लेकर किशोर खुद को मारने की धमकी देते रहे. इस बवाल का विलेन था मेवाती किंग, जो सारा दिन सबको अपने इशारों पर नचाता रहा. इस पूरे मामले में सारे दिन पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूले रहे.
दूसरे दिन ऐसा क्या हो गया
सूरजकुंड स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में शनिवार सुबह बंदी किशोरों ने एक बार फिर उत्पात मचा दिया. शुक्रवार को स्टाफ को बंधक बनाने के बाद डरे सहमा स्टॉफ की हिम्मत जेल में जाने की नहीं हुई. शनिवार सुबह जब नाश्ते के वक्त किशोरों को खाना नहीं मिला तो किशोरों ने हंगामा शुरू कर दिया. जेल में बने आफिस में रखे फर्नीचर और कम्प्यूटर, अलमारियों को भी तहस नहस कर दिया. इस बीच मौके पर पहुंची पुलिस ने किशोरों को समझाने की कोशिश की, लेकिन शुक्रवार की घटना से आहत किशोरों ने इस बार पुलिस को अग्रेसिव होने का मौका नहीं दिया. सभी किशोर रसोई घर में रखे सिलेंडर अपने साथ ले आए. किशोरों ने चेतावनी दी कि आज अगर किसी भी पुलिस कर्मी ने जेल के अंदर घुसने की कोशिश की तो फिर वो सिलेंडर में आग लगाकर खुद के साथ सभी को खत्म कर देंगे. देर रात तक भी किशोरों ने पुलिस-प्रशासन से बातचीत नहीं की.
ये है मांग
किशोरों का कहना है कि यहां पर बिजली नहीं मिलती है. जनरेटर भी सालों से बंद पड़ा हुआ है. हमें जनरेटर चाहिए. खाना समय पर नहीं मिलता है. दो दिन हो गए हैं भूखे रहते, बस घर वाले खाना ले आते हैं तो उन्हें खाना नसीब हो जाता है.
'मेरा नाम माइकल है गोली खाने को तैयार हूं..एसपी सिटी - 'चलाओ गोली..हमारी छाती पुलिस की गोली खाने को तैयार है.'
मेरठ में बच्चा जेल में हंगामा
( मेरठ की बच्चा जेल में बंद किशोर कैदियों ने पुलिस और परेशान  से मोर्चा बाँधा हुआ है . सरकारी तंत्र के उत्पीड़न की गाथा सब  जानते हैं लेकिन किशोर कैदियों के साथ यह अमानवीयता की सारे हदें पार कर जाती है. उनके साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार को लिखने बैठें तो उसका कोई ओर छोर नहीं मिलेगा.  लेकिन इस बार पुलिस व प्रशासन के साथ साथ मीडिया भी बच्चों के खूंखार अपराधी सिद्ध करने के लिए  मुस्तैद दिखाई देता है. रोज एकतरफा खबरे और फोटो छापे जा रहें हैं जो ये साबित करते हैं की सारा कसूर इन शैतान लड़कों का है जो जेल में भूखें प्यासे रखकर पीटें जाने के बाद भी चुप होने को तैयार नहीं है. ख़ास राज नेताओं के असर में मीडिया पहले से ही था लेकिन बच्चों के विरुद्ध भी वो इतनी निर्दयता दिखायेगा ये तो कभी सोचा ही न था .
   बच्चे क्या बड़े भी जो जेलों में बंद हैं उनमें से ज्यादातर या तो व्यवस्था के सतायें हैं या मामूली कारणों से जेल में बंद हैं.उनके जेल में बंद रहने का बड़ा कारण उनका गरीब और निरपराध होना है .सामर्थ्यवान अपराधी तो कभी जेल जाता ही नहीं है .अगर जाता भी है तो उसे सैरगाह समझाता  है और सारा प्रशासन उसकी देखभाल  में रहता  है .लेकिन ये बच्चें जो समाज का भविष्य हैं जो देश के नौनिहाल हैं  उन्हें सरकार अपराधी बना रही है .सरकार जिम्मेदारी है कि वो देश के बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुरूप विकास का अवसर दे  
माइकल है मेरा नाम
संप्रेक्षण गृह की छत से किशोरों ने पुलिस को देखकर कपड़े उतार दिए थे. बोले-'मेरा नाम माइकल है गोली खाने को तैयार हूं..एसपी सिटी - 'चलाओ गोली..हमारी छाती पुलिस की गोली खाने को तैयार है.'

मेरठ: सिलेंडर से खुद भी मरेंगे और सबको मार देंगे. शनिवार को लगातार दूसरे दिन भी बंदी किशोरों का बाल संप्रेक्षण गृह पर कब्जा रहा. सिलेंडर हाथों में लेकर किशोर खुद को मारने की धमकी देते रहे. इस बवाल का विलेन था मेवाती किंग, जो सारा दिन सबको अपने इशारों पर नचाता रहा. इस पूरे मामले में सारे दिन पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूले रहे.
दूसरे दिन ऐसा क्या हो गया
सूरजकुंड स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में शनिवार सुबह बंदी किशोरों ने एक बार फिर उत्पात मचा दिया. शुक्रवार को स्टाफ को बंधक बनाने के बाद डरे सहमा स्टॉफ की हिम्मत जेल में जाने की नहीं हुई. शनिवार सुबह जब नाश्ते के वक्त किशोरों को खाना नहीं मिला तो किशोरों ने हंगामा शुरू कर दिया. जेल में बने आफिस में रखे फर्नीचर और कम्प्यूटर, अलमारियों को भी तहस नहस कर दिया. इस बीच मौके पर पहुंची पुलिस ने किशोरों को समझाने की कोशिश की, लेकिन शुक्रवार की घटना से आहत किशोरों ने इस बार पुलिस को अग्रेसिव होने का मौका नहीं दिया. सभी किशोर रसोई घर में रखे सिलेंडर अपने साथ ले आए. किशोरों ने चेतावनी दी कि आज अगर किसी भी पुलिस कर्मी ने जेल के अंदर घुसने की कोशिश की तो फिर वो सिलेंडर में आग लगाकर खुद के साथ सभी को खत्म कर देंगे. देर रात तक भी किशोरों ने पुलिस-प्रशासन से बातचीत नहीं की.
ये है मांग
किशोरों का कहना है कि यहां पर बिजली नहीं मिलती है. जनरेटर भी सालों से बंद पड़ा हुआ है. हमें जनरेटर चाहिए. खाना समय पर नहीं मिलता है. दो दिन हो गए हैं भूखे रहते, बस घर वाले खाना ले आते हैं तो उन्हें खाना नसीब हो जाता है.

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