शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

प्रधान मंत्री का छात्रों से संवाद


        लोग सवाल कर रहें हैं कि शिक्षक दिवस पर शिक्षकों से बात क्यूँ नहीं की ?छात्रों से  बाल दिवस पर  बात नहीं कर सकते थे ? अब इतनी मोटी सी बात भी समझानी पड़ेगी क्या कि अगर बाल दिवस पर बात करते तो पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी याद करना पड़ता जबकि नेहरू खानदान से इनकी पैदायशी दुश्मनी है .ऐसे में पंडित नेहरू के  जन्म दिवस पर ऐसा  कार्यक्रम करना कुछ बदमजगी ही पैदा करता.दूसरी बात ये कि अगर शिक्षकों से बात करते तो  हो सकता है कहीं अपनी धर्म पत्नी से ही संवाद करना पड़ जाता .आखिर वो भी एक शिक्षक हैं भले ही रिटायर्ड हो गयी हों. ये भी एक बदमजगी वाला काम होता. बहरहाल आज  का कार्यक्रम अच्छा लगा. जो लोग ये सोचते थे कि मोदी जी भी मनमोहन सिंह जी की तरह कुर्सी पर बैठते ही मौन हो जायेंगे उन्हें गहरी निराशा हुयी होगी .वो देख सकते हैं कि मोदी जी  बोलने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहें हैं बल्कि यूँ कहिये कि अन्य किसी को कुछ बोलने ही नहीं दे रहे हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विदेश जाने को तरस रहीं होगी और मोदी जी हैं कि एक के बाद एक देश के लिए उड़ान भर रहें हैं. गृह मंत्री जी को मोदी जी के विदेश प्रवास से थोडा मौका मिल गया सो उनहोंने फ़ौरन फ़ौज को पाकिस्तान को  कड़ा जबाब देने का फरमान सुना डाला. अब देखना बहुत दिनों तक उनकी आवाज सुनाई नहीं देगी क्यूंकि ऐसी कड़ी देशभक्ति वाली बयानबाजी का एकाधिकार सिर्फ मोदी जी के पास है.नहीं तो क्या रक्षा मंत्री नहीं हैं जो सरहद पर गड़बड़ी करने वालों को मुंहतोड़ जबाब देने का बयान देते.
       खैर ये विषयांतर है आज का मुद्दा है माननीय प्रधान मंत्री जी का स्कूल के छात्रों से सीधा संवाद. आज वाकई मन बड़ा खुश हुआ जब देश के पी एम् को स्कूल के  छात्रों से सीधे संवाद करते सुना. मेरा सुझाव है कि शिक्षक दिवस, बाल दिवस आदि तो कांग्रेस सरकार ने पहले ही तय कर दिए हैं उनमें कुछ फेर बदल करना तो ठीक न होगा .सरकार को चाहिए कि वो मोदी जी के जन्म दिवस को छात्र दिवस घोषित कर दे .आज उनहोंने छात्रों  से अपने लगाव को प्रकट कर ही दिया है इसलिए ऐसा करना कुछ अनुपयुक्त भी न होगा.
      हाँ एक बात और ध्यान आ गयी .पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर की राजधानी इम्फाल से एक बच्चे ने सवाल पूछा कि वो कैसे देश का पी एम् बन सकता है ? मोदी जी ने बड़े हलके से जबाब दे दिया कि वो दो हजार चौबीस के चुनाव की तैयारी  करे .
 जब मोदी जी ये जबाब दे रहे थे मेरे ख्यालों में  एरोम शर्मीला का का चेहरा घूम रहा था जिसमें वो अनशन पर दिखाई दे रही है और उसकी नाक में भोजन नली ठुसी हुयी है.जिस इलाके के लोग अभी तक अपने सवैंधानिक अधिकारों के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, जिस क्षेत्र के लोग अपनी माँ बहिनों की हिफाजत के लिए जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं उस इलाके के लोग कैसे इस देश के पी एम् बन सकते हैं ? अभी तो यह साबित करना होगा कि वो भी भारत हैं और उन्हें भी इस देश में  उतना ही हक़ है जितना यू पी या गुजरात वालों को है .

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