गुरुवार, 9 अक्तूबर 2014

क्यूँ ऐंठे हैं ?




अपने अपने अहम लिए सब बैठे हैं. 
झुककर पहले बात करें क्यूँ ऐंठे हैं ?


अपने चारों ओर खड़ी कर दीवारें
सिमट गए हैं सिर्फ एक ही कोने में 
कोस रहे हैं सारी दुनिया को बैठे 
कितना अपना वक्त गवायाँ रोने में

उठा ऊँट सी गर्दन अगुवा बन बैठे
होने को जिनके कद बिलकुल गैंठे हैं. 
                             अपने अपने अहम लिए सब बैठे हैं. 
                             झुककर पहले बात करें क्यूँ ऐंठे हैं ?

एक बार तुम घर से बाहर तो निकलो 
देखोगे सारा संसार तुम्हारा है 
ये दुनिया उतनी भी बुरी नहीं यारो
जितना तुमने सोच सोच मन हारा है

सबका दिल है बड़े समंदर के जैसा
मोती बीन लिए जो गहरे पैठे हैं .
                              अपने अपने अहम लिए सब बैठे हैं. 
                              झुककर पहले बात करें क्यूँ ऐंठे हैं ?
                  
                                 --------- अमरनाथ मधुर

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