तुमने कैसे सोच लिया है तुम को भुला दिया है मैंने
क्या कोई ऐसा पल बीता तुम को याद किया न मैंने ?
वो मजबूरी भी तो मेरी, नहीं तुम्हारी थी मजबूरी
जिसके कारण बनी हुई है मेरी और तुम्हारी दूरी
लेकिन इस दूरी ने हमको दिल से दूर किया ही कब है ?
हम नजदीक रहेंगे यूँ ही बीते चाहे उमरिया पूरी .
ओ सपनों में आने वाली, रातों रोज रुलाने वाली
दर्दे जिगर जिया है मैंने, चाके जिगर किया है मैंने .
रातों को उठ उठ कर जगना, और दिन भर बौराये फिरना
अब बस यही जिंदगी अपनी ना कुछ ख्वाहिश ना कुछ सपना
मैं खुद से बातें करता यूँ ,जैसे तुमसे बतलाता हूँ
ना कोई दर्द पूछता मेरा और कोई समझाये भी ना .
मुझे सिरफिरा कहने वाले लोग हजारों हैं बस्ती में
एक नहीं है जो ये जाने क्या कुछ नहीं सहा है मैंने .
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